हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत को काफी महत्व दिया जाता है, ये सावित्री व्रत साल में दो बार 15 दिन के अंतराल में रखा जाता है, ऐसा माना जाता है कि सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, इस दिन व्रत रखने से दांपत्य जीवन अच्छा रहता है, हिंदू पंचांग के मुताबित, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पत्र की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है, बता दें कि वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या के अलावा पूर्णिमा तिथि को रखा जाता है,
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वही पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 5 जून 2024 को रात 07.54 पर शुरू होगी और अगले दिन 6 जून 2024 को शाम 06.07 पर समाप्त होगी, वट सावित्री अमावस्या व्रत 6 जून को किया जाएगा, इस दिन शनि जयंती भी होती है, वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है,
वही पूजा समय – सुबह 10.36 – दोपहर 02.04 , वट सावित्री पूर्णिमा व्रत – पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून 2024 को सुबह 07.31 पर शुरू होकर 22 जून को सुबह 06.37 तक रहेगी ।
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पूजा का समय – सुबह 05.24 – सुबह 10.38 तक का शुभ माना जाता है ।
वही हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार सावित्री ने मृत्यु के देवता भगवान यम को भ्रमित कर उन्हें अपने पति सत्यवान के प्राण को लौटाने पर विवश किया था, इसीलिये विवाहित स्त्रियां अपने पति की सकुशलता एवं दीर्घायु की कामना से वट सावित्री व्रत का पालन करती हैं,
वट सावित्री व्रत पूजा विधि-
वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की परंपरा है, हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार बरगद के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, वट सावित्री व्रत में सुहागिन स्त्रियां बरगद के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करती हैं और साथ ही कच्चा सूत भी लपेटती हैं, मान्यता है कि बरगद के पेड़ की आराधना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है,
वही ऐसे में वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है, ज्योतिषियों के अनुसार वट वृक्ष की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है, साथ ही, सुहागिन महिलाओं के पतियों को दीर्घायु होने का वरदान मिलता है,