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कर्नाटक BJP में बड़ा राजनीतिक झटका देखने को मिला है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने दो सिटिंग विधायकों — एस. टी. सोमा शेखर और ए. शिवराम हेब्बार को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यह फैसला उनके खिलाफ पार्टी अनुशासन के बार-बार उल्लंघन के चलते लिया गया। पार्टी ने यह कार्रवाई ऐसे वक्त की है जब राज्य में बीजेपी को विपक्ष में रहकर कांग्रेस सरकार से कड़ी टक्कर लेनी है।

कौन हैं निष्कासित विधायक?

एस. टी. सोमा शेखर और ए. शिवराम हेब्बार दोनों ही कर्नाटक के वरिष्ठ नेता माने जाते हैं। सोमा शेखर पूर्व में मंत्री भी रह चुके हैं और बेंगलुरु के यशवंतपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वहीं ए. शिवराम हेब्बार कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले से आते हैं और उन्होंने भी राज्य सरकार में मंत्री पद संभाला है। दोनों नेता बीजेपी के टिकट पर चुने गए थे, लेकिन हाल के कुछ महीनों में उन्होंने पार्टी के खिलाफ बार-बार गतिविधियां कीं।

क्या हैं पार्टी के आरोप?

बीजेपी नेतृत्व का आरोप है कि इन दोनों विधायकों ने पार्टी के आदेशों और अनुशासन का लगातार उल्लंघन किया। वे पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर सरकारी आयोजनों में भाग ले रहे थे, जहाँ कांग्रेस के नेता भी मौजूद थे। इसके अलावा, मीडिया में दिए गए बयानों में भी दोनों ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया। पार्टी की राज्य इकाई ने पहले भी इन नेताओं को चेतावनी दी थी, लेकिन उनके रवैये में कोई बदलाव नहीं आया।

BJP ने क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?

कर्नाटक में बीजेपी फिलहाल विपक्ष में है, लेकिन वह 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 के संभावित राज्य चुनावों की तैयारी में जुटी है। ऐसे में पार्टी का मानना है कि अनुशासनहीन नेताओं को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पार्टी नेतृत्व ने सख्ती दिखाते हुए साफ किया कि कोई भी नेता पार्टी से ऊपर नहीं है और यदि संगठनात्मक मर्यादा नहीं निभाई गई, तो कार्रवाई तय है।

क्या इन नेताओं का कांग्रेस से जुड़ाव है?

हाल के दिनों में यह देखा गया है कि ये दोनों विधायक कांग्रेस के कार्यक्रमों में भाग ले रहे थे और पार्टी के फैसलों के पक्ष में बयान दे रहे थे। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे कांग्रेस के साथ गठजोड़ या दल-बदल की योजना बना सकते हैं। हालांकि, अभी तक इन नेताओं ने इस पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है कि वे आगे किस पार्टी में जाएंगे।

राजनीतिक हलकों में हलचल

इस फैसले के बाद कर्नाटक की राजनीति में हलचल मच गई है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम बीजेपी ने न सिर्फ डैमेज कंट्रोल के लिए उठाया है, बल्कि बाकी नेताओं को यह संदेश देने के लिए भी कि अनुशासन सर्वोपरि है। दूसरी ओर, कांग्रेस खेमे में भी इस फैसले को लेकर हलचल है, क्योंकि अगर ये दोनों नेता कांग्रेस में शामिल होते हैं, तो उसे कुछ क्षेत्रों में मजबूती मिल सकती है।

भविष्य की राह क्या होगी?

अब सबकी नजर इस पर है कि सोमा शेखर और शिवराम हेब्बार आगे क्या कदम उठाते हैं। क्या वे किसी नई पार्टी में शामिल होंगे या निर्दलीय राजनीति करेंगे? या फिर बीजेपी के साथ किसी तरह की पुनः बातचीत की संभावना है? आने वाले दिनों में इसका जवाब सामने आएगा।

निष्कर्ष

कर्नाटक बीजेपी द्वारा दो विधायकों को छह साल के लिए पार्टी से बाहर करना एक बड़ा और सख्त निर्णय है। यह फैसला पार्टी की अनुशासन नीति को दर्शाता है और यह संकेत देता है कि अब संगठन में आंतरिक अनुशासन को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इससे भविष्य में पार्टी के अन्य नेताओं को भी एक साफ संदेश मिल सकता है।

By Desk

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