Donald Trump और Narendra Modi की दोस्ती कभी दुनिया की सुर्खियों में छाई रहती थी। बड़े-बड़े स्टेडियमों में “Howdy Modi” और “Namaste Trump” जैसे आयोजन, दोनों नेताओं की गहरी राजनीतिक समझदारी और सार्वजनिक दिखावा – यह सब “Trump Modi friendship” को बेहद खास बना रहा था।
लेकिन जैसे-जैसे समय गुज़रा, यह दोस्ती धीरे-धीरे कमजोर होती चली गई और आज स्थिति यह है कि दोनों नेताओं के बीच का रिश्ता पहले जैसा गर्मजोशी भरा नहीं रहा।
यह सवाल अब हर जगह उठ रहा है कि Trump Modi friendship आखिर क्यों टूटी? इसके पीछे कौन-सी घटनाएं थीं जिन्होंने इस रिश्ते को हिलाकर रख दिया?
आइए विस्तार से जानते हैं —
1. दोस्ती की शुरुआत और शुरुआती कैमिस्ट्री
Trump और Modi की दोस्ती का आरंभ राजनीतिक मंच पर हुआ। दोनों की विचारधारा भले अलग थी, लेकिन दोनों ही “नेशनलिज़्म” और “मजबूत नेतृत्व” की राजनीति के प्रतीक बने।
- अमेरिका में “Howdy Modi” कार्यक्रम ने इस रिश्ते को दुनिया के सामने नए स्तर पर पेश किया।
- इसके बाद भारत में “Namaste Trump” इवेंट हुआ, जहां लाखों लोग स्टेडियम में इकट्ठा हुए।
तब यह कहा जा रहा था कि Trump Modi friendship न सिर्फ दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नई साझेदारी का संकेत है।
2. पहला तकरार: “Howdy Modi” के बाद ट्रेड वार
मंच पर दिखी दोस्ती के बाद असली परीक्षा तब आई जब आर्थिक रिश्तों की बारी आई। अमेरिका ने भारत पर कई व्यापारिक दबाव बनाए।
- अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर अधिक टैरिफ़ लगाना शुरू कर दिया।
- भारत ने भी इसके जवाब में अमेरिकी सामान पर शुल्क बढ़ा दिए।
यहीं से “Trump Modi friendship” में पहली दरार दिखाई दी। दोस्ती का चमकता चेहरा आर्थिक हितों की भेंट चढ़ने लगा।
3. दूसरी घटना: टैरिफ़ का खेल
Trump प्रशासन ने बार-बार कहा कि भारत “ट्रेड में अमेरिका का फ़ायदा उठाता है”।
- अमेरिका ने कई उत्पादों पर 25% से 50% तक आयात शुल्क बढ़ा दिया।
- यह भारत की अर्थव्यवस्था और निर्यातकों के लिए बड़ा झटका था।
Trump की यह नीति भारत के लिए सख्त संदेश था कि दोस्ती अपनी जगह है लेकिन “America First” नीति सबसे ऊपर है।
यह कदम Modi के लिए राजनीतिक और आर्थिक रूप से स्वीकार करना मुश्किल था।
4. तीसरी घटना: रूस से तेल खरीद और अमेरिका की नाराज़गी
जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ, भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा।
- अमेरिका चाहता था कि भारत रूस से दूरी बनाए।
- लेकिन Modi सरकार ने अपने राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी।
Trump ने इस पर खुलकर असहमति जताई और कहा कि यह कदम अमेरिका के खिलाफ है।
यहीं पर Trump Modi friendship को दूसरा बड़ा झटका लगा।
5. चौथा टकराव: पाकिस्तान पर असहमति
भारत और अमेरिका की साझेदारी का एक बड़ा मुद्दा पाकिस्तान रहा है।
- Modi चाहते थे कि अमेरिका पाकिस्तान पर सख्त कदम उठाए।
- लेकिन Trump प्रशासन कभी-कभी पाकिस्तान को रणनीतिक रूप से इस्तेमाल करने की कोशिश करता रहा।
Modi को यह बात बिल्कुल स्वीकार नहीं थी। यह रणनीतिक असहमति दोनों नेताओं की व्यक्तिगत समीपता पर असर डालने लगी।
पाँचवाँ मोड़: व्यक्तिगत अहंकार और गलतियां
राजनीति में दोस्ती टिकाऊ तभी रहती है जब दोनों पक्ष एक-दूसरे के सम्मान का ख्याल रखें।
लेकिन यहां मामला अलग था —
- Trump कई बार सार्वजनिक मंच से Modi सरकार की नीतियों की आलोचना करते नज़र आए।
- वहीं, भारत में भी यह संदेश जाने लगा कि America पर ज़्यादा भरोसा करना सही नहीं है।
व्यक्तिगत अहंकार और गलत रणनीतियों ने “Trump Modi friendship” को कमजोर कर दिया।
मीडिया और पब्लिक नैरेटिव का असर
“Trump Modi friendship” सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि मीडिया नैरेटिव का भी हिस्सा रही।
- जब दोनों साथ मंच पर दिखे तो मीडिया ने इसे दो बड़े लोकतांत्रिक नेताओं की दोस्ती कहा।
- लेकिन जब टकराव शुरू हुआ, तो वही मीडिया हर छोटे विवाद को बड़ा मुद्दा बनाकर पेश करने लगी।
इसने भी इस रिश्ते को ठंडा करने में बड़ी भूमिका निभाई।
क्या यह अस्थायी दरार है?
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह दोस्ती पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
- दोनों देशों के बीच रक्षा, तकनीक और व्यापार का रिश्ता अभी भी मजबूत है।
- आने वाले समय में परिस्थिति बदल सकती है और दोनों फिर करीब आ सकते हैं।
लेकिन यह तय है कि “Trump Modi friendship” अब उतनी गर्मजोशी वाली नहीं रही, जैसी शुरुआत में थी।
Trump Modi friendship से सीख
इस पूरी कहानी से एक बड़ा सबक मिलता है:
- अंतरराष्ट्रीय रिश्ते सिर्फ व्यक्तिगत दोस्ती पर नहीं टिकते।
- देशों के राष्ट्रीय हित, व्यापारिक नीतियां और रणनीतिक फैसले असली आधार होते हैं।
Trump और Modi दोनों ने दोस्ती को दिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ी, लेकिन जब बात राष्ट्रीय हित पर आई, तो दोनों अपने-अपने रास्ते पर चल पड़े।
भविष्य की दिशा
India–US संबंध लंबे समय से उतार-चढ़ाव देखते आए हैं।
- कभी साझेदारी मजबूत होती है, तो कभी व्यापार और विदेश नीति इसे कमजोर कर देती है।
- आने वाले सालों में भी यही पैटर्न देखने को मिलेगा।
Trump और Modi की व्यक्तिगत कैमिस्ट्री चाहे जैसी भी हो, दोनों देशों के रिश्ते भविष्य की वैश्विक राजनीति में अहम बने रहेंगे।
निष्कर्ष
“Trump Modi friendship” की शुरुआत दुनिया को यह संदेश देने के लिए हुई थी कि भारत और अमेरिका एक नए युग की साझेदारी में प्रवेश कर रहे हैं।
लेकिन पाँच बड़ी घटनाओं ने इस रिश्ते की बुनियाद को हिला दिया।
- व्यापार युद्ध,
- रूस से तेल खरीद,
- पाकिस्तान नीति,
- व्यक्तिगत अहंकार,
- और मीडिया नैरेटिव।
इन सबने मिलकर इस दोस्ती को ठंडा कर दिया।
हालाँकि यह टूटन स्थायी नहीं कही जा सकती। दोनों देशों के बीच रिश्ते समय के साथ बदलते रहेंगे। मगर इतना तो साफ है कि “Trump Modi friendship” अब पहले जैसी चमक नहीं रखती।
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