सामान की पैकेजिंग से लेकर कपड़े बनाने तक, दुनियाभर में प्लास्टिक कई चीजों के लिए काम आता है, हालांकि, इसे रिसाइकिल करना कोई आसान काम नहीं है, ज्यादातर प्लास्टिक कचरे या फिर समुद्र में जाकर धरती को नुकसान पहुंचाता है, इस समस्या से निपटने के लिए कनाडा की ब्रैंडन यूनिवर्सिटी ने एक ऐसा कीड़ा ढूंढ लिया है, जो प्लास्टिक को खाकर जिंदा रह सकता है, प्लास्टिक के समान के साथ एक दिक्कत यह है कि इन वस्तुओं को पूरी तरह से नष्ट होने में कई सौ सालों तक का समय लगता है, इस समस्या से निपटने का एक प्राकृतिक तरीका ढूंढा गया है, वैक्स वर्म नाम का एक ऐसा कीड़ा है जो प्लास्टिक को खाने की क्षमता रखता है।
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सभी को पता है कि प्लास्टिक की बोतलों को नष्ट होने में 450 साल लग जाते हैं, वहीं, प्लास्टिक बैग 10 से 20 सालों में डिकंपोज होता है, इसकी तुलना में वैक्स वर्म कुछ हफ्तों में ही प्लास्टिक को सफाचट कर जाते हैं, वही वैक्स वर्म क्या होता है और ये कैसे सालों में टूटने वाली धातु को इतनी जल्दी निपटा देता है, क्या ये कीड़ा पॉल्यूशन को कम करनें में मदद करेगा?
वही गैलेरिया मेलोनेला नामक मॉथ के कैटरपिलर लार्वा को वैक्स वर्म कहा जाता है, ये मधुमक्खी के छत्ते में और उसके आसपास रहते हैं, यह उन छत्तों में पाए जाने वाले मोम को खाकर जीवित रहता है, इसी कारण उनका नाम वैक्स वर्म पड़ा,दिलचस्प बात यह है कि ये स्वेच्छा से पॉलीथीन खाते हैं, जो आमतौर पर शॉपिंग बैग में इस्तेमाल होने वाला एक प्रकार का प्लास्टिक है,
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वही इन कीड़ों की विशेष क्षमताओं की जानकारी संयोग से मिली थी, यह बात है 2017 की है, यूनिवर्सिटी ऑफ कांताब्रिया की डेवलपमेंट बायोलॉजिस्ट फेडेरिका बेर्टोच्चिनी मधुमक्खियों के छत्ते की सफाई कर रही थीं, इस दौरान उन्होंने छत्तों में रहने वाले कुछ वैक्स वर्म को निकालकर एक पॉलीथिन बैग में डालकर छोड़ दिया, थोड़ी देर बाद उन्होंने गौर किया कि बैग में छोटे-छोटे छेद हो गए थे, इसके बाद से ही वैक्स वर्म कीड़ो के अद्भुत क्षमता पर शोध किया जा रहा है,
आपको बता दें कि कनाडा की ब्रैंडन यूनिवर्सिटी ने वैक्स वर्म के काम करने के तरीके को और बेहतर समझने के लिए 2021 में शोध किया था, इस दौरान वैक्स वर्म को कई दिनों तक पॉलीथीन खिलाई गई, जैसे ही कीड़ों ने प्लास्टिक शीट को खाया, उनका उत्सर्जन बदल गया और अधिक तरल हो गया, जांच में पाया गया कि उनके वेस्ट में ग्लाइकोल, शराब का एक रूप, शामिल है, रिसर्च में देखा गया कि लैबू में रखे हुए 60 वैक्सवर्म एक हफ्ते से भी कम समय में 30 स्क्वायर सेंटीमीटर का प्लास्टिक बैग खा गए थे ,जिसे देखकर सभी दंग रह गए ।