केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर उठ रहे विवादों और भ्रांतियों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे इस विधेयक के बारे में देश में भ्रम फैला रहे हैं। यहां इस विधेयक से जुड़े 10 मुख्य बिंदु में दूर करें भ्रम।
- विधेयक का उद्देश्य: अमित शाह के अनुसार, वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और संरक्षण सुनिश्चित करना इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य है।
- विपक्ष पर आरोप: शाह ने कहा कि विपक्षी दल मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं और वोट बैंक की राजनीति के लिए भय का माहौल बना रहे हैं।
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: विधेयक में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है, जिसका उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाना है।
- धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं: शाह ने स्पष्ट किया कि गैर-मुस्लिम सदस्य केवल प्रशासनिक कार्यों में सहायता करेंगे और धार्मिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
- संपत्ति दान का महत्व: उन्होंने बताया कि वक्फ एक प्रकार की धर्मार्थ संस्था है, जहां व्यक्ति अपनी संपत्ति सामाजिक, धार्मिक या सार्वजनिक कल्याण के लिए दान करता है।
- विधेयक की पृष्ठभूमि: शाह ने कहा कि 2013 में वक्फ कानून में किए गए संशोधनों के कारण वर्तमान विधेयक की आवश्यकता पड़ी।
- विधेयक का समर्थन: उन्होंने जोर देकर कहा कि यह विधेयक संविधान के दायरे में रहकर बनाया गया है और इससे किसी के अधिकारों का हनन नहीं होगा।
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8. विपक्ष की आपत्तियां: विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि उनकी असहमति टिप्पणियों को संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया, जिस पर शाह ने कहा कि सरकार को इन टिप्पणियों को जोड़ने में कोई आपत्ति नहीं है।
9. विधेयक की वर्तमान स्थिति: विधेयक को लोकसभा में पारित किया गया है और अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
10. सार्वजनिक प्रतिक्रिया: कुछ मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने विधेयक का विरोध किया है, जबकि सरकार का दावा है कि यह वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए आवश्यक है।
अमित शाह ने आश्वासन दिया है कि यह विधेयक किसी भी समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करेगा और वक्फ संपत्तियों के कुशल प्रबंधन में मददगार साबित होगा