alt Waqf Amendment Bill 2025

Waqf Amendment Bill 2025: भारत की संसद ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पारित किया है, जो मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा प्रस्तुत इस विधेयक में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और सरकारी निगरानी बढ़ाने का प्रावधान है। समर्थकों का कहना है कि इससे भ्रष्टाचार कम होगा और पारदर्शिता बढ़ेगी, जबकि आलोचकों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाता है।

Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ क्या है?

वक्फ एक इस्लामिक धर्मार्थ संस्था है, जिसमें दाता अपनी संपत्ति को स्थायी रूप से धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित करता है। भारत में, वक्फ संपत्तियों की संख्या लगभग 8,72,000 है, जो 4,05,000 हेक्टेयर भूमि में फैली हुई हैं, जिनका अनुमानित मूल्य $14.22 बिलियन है। इन संपत्तियों का उपयोग मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों और अनाथालयों के लिए किया जाता है।

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विधेयक के प्रमुख प्रावधान

  1. गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: विधेयक के अनुसार, अब वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा। सरकार का कहना है कि इससे प्रशासनिक कार्यों में विविधता और पारदर्शिता आएगी।
  2. सरकारी नियंत्रण में वृद्धि: विधेयक वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व की पुष्टि के लिए जिला स्तर के अधिकारियों की मंजूरी आवश्यक बनाता है, जिससे सरकारी निगरानी बढ़ेगी।

समर्थन और विरोध

समर्थकों का तर्क है कि इन संशोधनों से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार कम होगा। हालांकि, मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों का मानना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन करता है और धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाता है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे इस्लामिक सिद्धांतों के खिलाफ बताया है, जिसमें वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन केवल मुसलमानों द्वारा किया जाना चाहिए।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल उठाया कि जब हिंदू मंदिर ट्रस्टों में गैर-हिंदुओं को शामिल नहीं किया जाता, तो वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति क्यों की जा रही है। उन्होंने इसे असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन बताया।

मुस्लिम समुदाय की चिंताएं

मुस्लिम समुदाय को चिंता है कि यह विधेयक ऐतिहासिक मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों की संपत्तियों को प्रभावित कर सकता है, खासकर उन मामलों में जहां संपत्तियों के दस्तावेज़ीकरण में कमी है। इसके अलावा, कुछ हिंदू समूहों द्वारा कई मस्जिदों पर दावे किए जा रहे हैं, जिससे मुस्लिम समुदाय में असुरक्षा बढ़ रही है।

निष्कर्ष

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 के पारित होने से मुस्लिम समुदाय में असंतोष और चिंता बढ़ी है। जबकि सरकार इसे पारदर्शिता और भ्रष्टाचार उन्मूलन की दिशा में कदम बता रही है, आलोचकों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाता है। आने वाले समय में इस विधेयक के प्रभाव और इसके खिलाफ उठने वाले विरोध प्रदर्शनों पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।

By Desk

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