Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2025: भारत त्योहारों की भूमि है और यहां हर पर्व का एक विशेष महत्व होता है। नवरात्रि उनमें से सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है। इसे शुभता, समृद्धि और देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
नवरात्रि 2025 कब है?
शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से होगी और यह 30 सितंबर तक चलेगी। इन नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी।
Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2025
इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 22 सितंबर 2025 को सुबह 6:15 से 8:30 बजे तक रहेगा। इसे अभिजीत मुहूर्त भी कहा जाता है और इस दौरान पूजा करने से देवी मां की कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है।
कलश स्थापना का महत्व
कलश को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इसे मां दुर्गा का स्वरूप समझा जाता है। मान्यता है कि कलश स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
- मिट्टी का पात्र
- जौ (बार्ली)
- तांबे/पीतल/मिट्टी का कलश
- गंगाजल
- नारियल
- आम के पत्ते
- सुपारी, सिक्का, अक्षत
- लाल कपड़ा और रोली
कलश स्थापना विधि (Step by Step)
- सबसे पहले पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
- चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर कलश रखें।
- कलश में गंगाजल, अक्षत, सुपारी और सिक्का डालें।
- नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें।
- कलश के चारों ओर आम के पत्ते सजाएं।
- दुर्गा मंत्रों का जाप करें और मां दुर्गा का आह्वान करें।
कलश स्थापना में ध्यान देने योग्य बातें
- कलश हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में ही स्थापित करें।
- स्थापना केवल शुभ मुहूर्त में करें।
- पूजा स्थल पवित्र और शांत वातावरण वाला होना चाहिए।
- एक बार स्थापित कलश को न हिलाएं।
नवरात्रि का नौ दिनों का महत्व
- पहला दिन – शैलपुत्री
- दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी
- तीसरा दिन – चंद्रघंटा
- चौथा दिन – कूष्मांडा
- पांचवां दिन – स्कंदमाता
- छठा दिन – कात्यायनी
- सातवां दिन – कालरात्रि
- आठवां दिन – महागौरी
- नौवां दिन – सिद्धिदात्री
प्रत्येक दिन देवी के अलग स्वरूप की पूजा करने से जीवन में अलग-अलग प्रकार के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि से कलश स्थापना
जौ बोना और कलश रखना केवल धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी लाभकारी है। जौ उगने से घर में वातावरण शुद्ध होता है और ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
नवरात्रि में घटस्थापना से जुड़ी मान्यताएँ
हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि कलश स्थापना के बिना नवरात्रि पूजा अधूरी मानी जाती है। कलश में स्थापित गंगाजल को पूरे नौ दिनों तक सुरक्षित रखा जाता है और यह जल पवित्र एवं औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है। नवरात्रि समाप्ति के बाद इस जल को घर के सभी कोनों में छिड़कने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और वातावरण पवित्र हो जाता है।
कलश और नारियल का प्रतीकात्मक महत्व
कलश का गोलाकार आकार सृष्टि का प्रतीक है, जबकि नारियल को ‘श्रीफल’ कहा जाता है, जो समृद्धि और शुभ फल का द्योतक है। आम के पत्ते जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही कारण है कि कलश को पूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक माना गया है और इसकी स्थापना से घर-परिवार में समृद्धि आती है।
नवरात्रि 2025 में विशेष योग
इस बार नवरात्रि 2025 में ग्रह-नक्षत्रों का खास संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष कलश स्थापना के दिन ‘सर्वार्थ सिद्धि योग’ और ‘अमृत सिद्धि योग’ का मेल रहेगा। यह संयोग हर प्रकार की पूजा-अर्चना को और अधिक फलदायी बनाएगा। ऐसे समय में घटस्थापना करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
आर्थिक दृष्टि से महत्व
मान्यता है कि सही मुहूर्त में घटस्थापना करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और आर्थिक कष्ट दूर होते हैं। व्यापारी वर्ग विशेष रूप से नवरात्रि में नई शुरुआत करता है और व्यवसायिक उन्नति की प्रार्थना करता है।
निष्कर्ष
Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2025 न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यदि कलश स्थापना सही मुहूर्त और विधि से की जाए तो मां दुर्गा की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
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