पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद से मालदीव का मुद्दा गरमाता जा रहा है। दरअसल पीएम के दौरे के बाद उन्होंने वहां के टूरिजम को प्रमोट किया जिसके बाद मालदीव के कुछ नेताओं की तरफ से पीएम पर टिप्पणी की गई जिसके बाद मामला बढ़ता गया और अब भारत पीछे हटने को तैयार नहीं है।
क्या है पूरा मामला
पीएम मोदी ने लक्षद्वीप दौरे के साथ ही वहां के टूरिजम को प्रमोट किया। इसके बाद गूगल पर अचानक लक्षद्वीप को सर्च करने वालों की संख्या बढ़ गई। इसी के साथ सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की खूबसूरत तस्वीरें पोस्ट की जाने लगीं। यह बहस चल पड़ी कि जब देश में इतनी खूबसूरत जगह है तो अपनी छुट्टी माने कहीं और क्यों जाएं? लोगों को मालदीव की बजाय लक्षद्वीप जाना चाहिए। इससे खफा होकर मालदीव के मंत्री ने टिप्पणी की तो भारत ने भी जवाब दिया। अब वहां की सरकार ने अपने तीन मंत्रियों को हटा दिया है।
मालदीव को क्या है दिक्कत ?
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत से करीब दो लाख से ज्यादा लोग हर साल मालदीव की यात्रा करते हैं। मालदीव में मौजूद भारतीय हाई कमिशन के आंकड़ों को मानें तो साल 2022 में 2 लाख 41 हजार और 2023 में करीब 2 लाख लोगों मालदीव की यात्रा की है। ऐसे में यदि लक्षद्वीप जैसे भारत के द्वीपों को प्रमोट किया जाता है तो जाहिर है कि भारत से मालदीव जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आएगी, जिसका विपरीत असर वहां के टूरिजम पर पड़ेगी। इसी आशंका से वहां के मंत्री भड़के हुए हैं।
क्या है एक्सपर्ट की राय
अगर तल्खी बढ़ती है तो हिंद महासागर रीजन की सिक्योरिटी भारत के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। चीन हमारे रिश्तों की तल्खी का फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है। जिसका भारत खयाल रखेगा। इसलिए भारत सरकार की तरफ से बैलेंस अप्रोच रखा गया है, जबकि मालदीव की तरफ से तो लगातार तीखा रुख देखने को मिल रहा है।