Mahagathbandhan Result: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम महागठबंधन (Mahagathbandhan) के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं हैं। 2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जहाँ महागठबंधन ने बेहद कड़ा मुकाबला करते हुए 110 सीटें जीती थीं और सरकार बनाने के करीब पहुँच गया था, वहीं 2025 में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले Mahagathbandhan के 2020 और 2025 (रुझानों के आधार पर) के प्रदर्शन की यह तुलना बताती है कि महज पाँच साल में गठबंधन कहाँ चूक गया और बिहार की राजनीति में समीकरण कैसे बदल गए।
2020 बनाम 2025: महागठबंधन की सीटों का गणित
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में बहुमत के लिए 122 सीटों की आवश्यकता होती है।
| चुनाव वर्ष | गठबंधन/पार्टी | कुल सीटें | जीती/बढ़त वाली सीटें | वोट शेयर (2020) |
| 2020 | महागठबंधन (MGB) | 243 | 110 | 37.23% |
| RJD | – | 75 | 23.11% | |
| Congress | – | 19 | 9.48% | |
| CPI(ML)L | – | 12 | 3.16% | |
| 2025 | महागठबंधन (MGB) | 243 | ~50 (रुझान) | (डेटा उपलब्ध नहीं) |
| RJD | – | ~35 | – | |
| Congress | – | ~7 | – | |
| वाम दल | – | ~8 | – |
(नोट: 2025 के आंकड़े 14 नवंबर 2025 को मतगणना के शुरुआती और अंतिम रुझानों पर आधारित हैं और अंतिम परिणाम से भिन्न हो सकते हैं। 2020 के आंकड़े ECI के आधिकारिक परिणाम हैं।)**
Mahagathbandhan Result: 2020 की टक्कर से 2025 की गिरावट: कहाँ चूक गया महागठबंधन?
Mahagathbandhan ने 2020 के चुनाव में 110 सीटें जीतकर NDA को पसीना ला दिया था, जहाँ दोनों गठबंधनों के वोट शेयर में केवल 0.03% का अंतर था। लेकिन 2025 में महागठबंधन 50 सीटों के आंकड़े के आसपास सिमटता दिख रहा है। यह भारी गिरावट इन कारकों को उजागर करती है:
1. सहयोगी दलों की कमजोरी (The Congress Factor)
- 2020 की समस्या: 2020 में भी Mahagathbandhan की हार का एक बड़ा कारण कांग्रेस रही थी। कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल 19 सीटें जीतीं, जिसका स्ट्राइक रेट केवल 27.1% था। RJD की 75 सीटों की ताकत को कांग्रेस ने पूरी तरह कमज़ोर कर दिया था।
- 2025 की पुनरावृत्ति: 2025 में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस 10 सीटों के आंकड़े को भी छूने में संघर्ष कर रही है, जिससे RJD पर सीटों का पूरा भार आ गया।
2. प्रशांत किशोर का ‘स्पॉइलर’ प्रभाव (Jan Suraaj Spoiler Effect)
- 2025 के चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने पहली बार चुनाव लड़ा। हालाँकि जन सुराज खुद कोई बड़ी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन राजनीतिक विश्लेषणों के अनुसार, उसने एंटी-इनकम्बेंसी वोट और RJD के वोट बैंक में सेंध लगाई।
- विशेष रूप से उन सीटों पर जहाँ जीत का अंतर कम था (2020 में 1% से कम मार्जिन वाली 20 सीटें थीं), जन सुराज ने महागठबंधन के वोटों का विभाजन करके NDA को सीधे तौर पर फायदा पहुँचाया।
3. महिला वोटर्स का ‘सुशासन’ पर भरोसा
- 2025 में रिकॉर्ड 67% से अधिक मतदान हुआ, जिसमें महिलाओं का मतदान प्रतिशत (71.6%) पुरुषों से अधिक था।
- माना जाता है कि नीतीश कुमार की ‘सुशासन’ की छवि, शराबबंदी और महिला केंद्रित योजनाओं पर महिला वोटर्स का भरोसा कायम रहा। यह वोट बैंक (जो 2020 में भी निर्णायक था) 2025 में पूरी तरह से NDA के पाले में चला गया।
4. ‘जंगलराज’ नैरेटिव का असर
- 2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव ने ‘रोजगार’ के मुद्दे पर युवा लहर पैदा की थी, लेकिन 2025 में NDA ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर ‘जंगलराज’ के नैरेटिव को फिर से मज़बूती से स्थापित किया।
- NDA इस बात को मतदाताओं के मन में बैठाने में सफल रहा कि RJD की वापसी बिहार को ‘अराजकता’ की ओर ले जाएगी, जिससे शहरी और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) का एक बड़ा हिस्सा NDA के साथ एकजुट हो गया।
निष्कर्ष: 2020 की उम्मीदें और 2025 की सच्चाई
2020 का चुनाव Mahagathbandhan के लिए उम्मीद लेकर आया था, जहाँ RJD पहली बार 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वहीं, 2025 का चुनाव महागठबंधन के लिए सच्चाई लेकर आया। जहाँ 2020 में RJD ने अपनी ताकत साबित की थी, वहीं 2025 में कांग्रेस और अन्य सहयोगियों की कमजोरी, जन सुराज के प्रभाव और NDA के संगठित प्रचार ने महागठबंधन को भारी नुकसान पहुँचाया।
Mahagathbandhan को अब न केवल अपनी हार का विश्लेषण करना होगा, बल्कि RJD के अलावा अन्य सहयोगियों की भूमिका और उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता पर भी विचार करना होगा।
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