हिंदू पंचांग के अनुसार कल बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हर वर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा हर साल के वैशाख शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. अबकि बार यह पूर्णिमा 23 मई को मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा भगवान बुद्ध से जोड़ कर देखा जाता है. बुद्ध का जन्म, बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति और बुद्ध का निर्वाण के कारण भी विशेष तिथि मानी जाती है. इस दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म भी हुआ था और संयोग से इसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान की भी प्राप्ति हुई थी. इसी लिए इसी दिन बुद्ध पूर्णिमा मनाया जाता है।

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इस दिन यानी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भिक्षुओं और साधुओं को दान देना सबसे पुण्य दान माना जाता है. आप उन्हें भोजन, कपड़े, दवा या अन्य वस्तुएं दान कर सकते हैं. गरीब परिवार को मदद कर सकते है. आस पास में अगर अस्पताल है वहां आप जाकर मरीजों की सेवा करें और उनके लिए कुछ मदद कर सकते है. अगर आप वाकई कुछ करना चाहते हैं तो कुछ पेड़-पौधे लगाएंगे तो इसका असर सीधे तौर पर आपके घर में सभी के बेहतर स्वास्थ्य पर दिखाई देगा. आपके साथ-साथ अपने परिवार के लोग भी स्वास्थ्य रहेंगे.

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अगर आप गौ सेवा करते हैं तो शहर की किसी गौशाला में जाकर गायों को चारा खिलाएं और उनकी देखभाल करने वाले लोगों को कुछ दान करें, इससे आपको खुशी मिलेगी. आप किसी मंदिर के बाहर जाकर गरीबों को कुछ खाना खिलाएं, जिससे आपके घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होगी. गरीबों और भूखे लोगों को अनाज, दाल, चावल, आटा, तेल, मसाले आदि का दान करना महादान माना जाता है. इससे समाज में भूख मिटाने में मदद मिलती है ।

गौतम बुद्ध कौन थे

बौद्ध धर्म एक प्राचीन भारतीय धर्म है. बौद्ध धर्म का इतिहास गौतम बुद्ध से आरम्भ होता है. 2600 वर्ष पहले इसकी स्थापना भगवान बुद्ध ने की थी. गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व कपिलवस्तु के लुंबिनी नामक स्थान (वर्तमान नेपाल) में हुआ था. उनके पिता का नाम शुद्धोधन था, जो शाक्य गण के मुखिया थे. उनकी माता का नाम मायादेवी था, जिनकी मृत्यु गौतम बुद्ध के जन्म के सातवें दिन हो गई थी. ऐसा कहा जाता है. इसके बाद उनका पालन पोषण उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था. भगवान बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था. निरंजना नदी के तट पर स्थित उरूवेला (बोधगया) में पीपल वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हे ज्ञान की प्राप्ति हुई।

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