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नई दिल्ली: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के व्यास तहखाने में पूजा के मामले में सुनावई की, दरअसल व्यास तहखाने में पूजा के खिलाफ मस्जिद कमिटी की याचिका पर सुनवाई की, सुनवाई के दौरान मस्जिद पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने सरकार पर जल्दबाजी करने का आरोप लगाया, वकिल ने कहा कि निचली अदालत ने आदेश लागू करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया, लेकिन सरकार ने इसे तुरंत लागू कर दिया, Supreme court को तुरंत इस पर रोक लगाना चाहिए, हमे हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली ।

वही चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले पर नोटिस जारी कर किसी और तारीख पर सुनवाई का संकेत दिया है, हालांकि, मस्जिद पक्ष के वकील ने पूजा पर तत्काल रोक की मांग पर अपनी दलीलें रखी, चीफ जस्टिस ने इस दौरान कहा कि तहखाने का प्रवेश दक्षिण से है और मस्जिद का उत्तर से. दोनों एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करते, हम यह निर्देश देते हैं कि फिलहाल और पूजा दोनों अपनी-अपनी जगहों पर जारी रहे ।

दरअसल, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी ने Supreme court में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदुओं को पूजा की अनुमति देने वाले निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा गया, कमिटी वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करती है, निचली अदालत ने 31 जनवरी को अपने आदेश में हिंदुओं को तहखाने में पूजा करने की इजाजत दी थी । 

वही व्यास परिवार के वकील श्याम दीवान ने औपचारिक नोटिस जारी करने का विरोध किया, वकील ने कहा कि अभी निचली अदालतों में मामले का पूरी तरह निपटारा नहीं हुआ, इस समय सुप्रीम कोर्ट के दखल की जरूरत नहीं है,

इसके बाद कमिटी हाईकोर्ट गई, जहां 26 फरवरी को उनकी याचिका खारिज हो गई, हाईकोर्ट ने कहा था कि ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाने में स्थित व्यास जी के तहखाने के भीतर पूजा रोकने वाला उत्तर प्रदेश सरकार का 1993 का फैसला अवैध था, पूजा-पाठ को बिना किसी लिखित आदेश के राज्य की अवैध कार्रवाई के जरिए रोक दिया गया,

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