दिल्ली: ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ा मामला है, हिन्दू पक्ष का मानना है कि यहां पर ज्ञानवापी मस्जिद में भगवान शिव का स्वंयू ज्योर्तिलिंग है, मुगल औरंगजेब ने 1669 में मंदिर को तुड़वाकर इस मस्जिद को बनवाया था, लेकिन मुस्लिम पक्ष ये मानने को तैयार नहीं है, जबकि हिन्दू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद में भगवान शिव का स्वंयू ज्योर्तिलिंग है, इसे लेकर 1991 में पहला मामला दायर किया गया था, पिछले 32 साल से लगातार मुकदमा चल रहा है, और अभी जारी है ।
दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराने वाला औरंगजेब को माना जाता है, हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पर भगवान विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योर्तिलिंग था, मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने यहां मस्जिद बनवाई थी, 1991 में इसे लेकर हरिहर पांडे, सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, इसमें बताया गया था कि मंदिर के अवशेषों से ही मस्जिद का निर्माण किया गया है।
आपको ये भी बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा की इजाजत देने के खिलाफ दायर याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी. वाराणसी कोर्ट ने 31 जनवरी को एक आदेश जारी करते हुए हिंदू पक्ष को यहां पूजा की इजाजत दे दी थी. इसके बाद हिंदू पक्ष के कुछ लोगों ने वहां मूर्ति रखी और पूजा अर्चना भी की.
मस्जिद का रखरखाव करने वाले अंजुमन इंतजामिया ने पहले सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी. हालांकि, कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट जाने को कहा था. इसके कुछ ही घंटे बाद अंजुमन इंतजामिया ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और जल्द से जल्द मामले की सुनवाई की मांग की थी
ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी तहखाने में पूजा के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि ज्ञानवापी व्यासजी तहखाने में पूजा होती रहेगी, सुप्रीम कोर्ट ने पूजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, मस्जिद कमेटी की पूजा पर रोक लगाने की मांग नामंजूर कर दिया गया, मुस्लिम पक्ष की याचिका पर हिंदू पक्ष को नोटिस भी जारी किया गया, साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी दखल के बिना यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, सल मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पूजा पर तत्काल रोक लगाने की मांग की, इस साल 31 जनवरी को वाराणसी जिला अदालत के फैसले के बाद व्यासजी तहखाने में पूजा पाठ शुरू कर दिया गया था, मुस्लिम पक्ष ने तब हाईकोर्ट से गुहार लगाई पर अदालत ने पूजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया,
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी को अपील में संशोधन अर्जी के जरिए 17 जनवरी के डीएम को रिसीवर नियुक्त करने के मूल आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी थी, महाधिवक्ता ने कानून व्यवस्था बनाए रखने का आश्वासन दिया था, मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट में दायर अपील में यह अनुरोध किया गया है कि हिंदू पक्ष का मुकदमा स्वयं सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत वर्जित है ।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि मुकदमा दायर करने के पीछे मुख्य उद्देश्य ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद पैदा करना था जहां नियमित नमाज अदा की जाती है, मामले को लेकर हिंदू पक्ष की ओर से कैविएट भी दाखिल की गई थी, वाराणसी कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि एक हिंदू पुजारी ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में मूर्तियों के सामने प्रार्थना कर सकता है,
उधर वाराणसी जिला अदालत में हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि नवंबर 1993 से पहले व्यासजी तहखाने में पूजा होती थी, तत्कालीन सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी, वहीं, मुस्लिम पक्ष ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए याचिका खारिज करने की मांग की थी, अदालत ने मुस्लिम पक्ष की मांग को अस्वीकार करते हुए हिंदू पक्ष को व्यासजी तहखाने में पूजा-पाठ का अधिकार दे दिया ।
वही मुस्लिम पक्ष ने व्यासजी तहखाने में पूजा की इजाजत के फैसले पर रोक लगाने की मांग की, वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि निचली अदालत ने एक हफ्ते में पूजा शुरु कराने का आदेश दिया था, लेकिन यूपी प्रशासन ने रात को ही पूजा के लिए तहखाने को खुलवा दिया, लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद वहां पूजा अर्चना शुरू है !