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बैंकॉक में आयोजित BIMSTEC (बेम्सटेक) सम्मेलन 2025 भारत और बांग्लादेश के रिश्तों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव बन गया है। इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की पहली आधिकारिक बैठक हुई, जो क्षेत्रीय राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है।
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद पहली उच्चस्तरीय बैठक
यह बैठक इसलिए भी खास रही क्योंकि यह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद छोड़ने और भारत में शरण लेने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच पहली उच्चस्तरीय कूटनीतिक वार्ता थी। हसीना सरकार के पतन के बाद दोनों देशों के रिश्तों में ठहराव देखा गया था। भारत द्वारा शेख हसीना को प्रत्यर्पित न करने और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर भारत की चिंता के चलते दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था।
लेकिन BIMSTEC के मंच पर मोदी और यूनुस की इस मुलाकात ने उन तनावों को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत दिया है।

बैठक के मुख्य बिंदु
इस महत्वपूर्ण बैठक में कई अहम मुद्दों पर बातचीत हुई, जिनमें शामिल हैं:
- सीमा सुरक्षा और सीमा पर हिंसा को रोकने के उपाय
- व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना और शुल्क घटाने के मुद्दे
- अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ बनाना
- भारत-बांग्लादेश ट्रांजिट रूट को सरल बनाना
दोनों नेताओं ने आपसी विश्वास और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाने की बात कही। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह बांग्लादेश के साथ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक रिश्तों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
BIMSTEC सम्मेलन में अन्य प्रमुख नेता
इस सम्मेलन में दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य नेता भी शामिल हुए:
- थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैटोंगटर्न शिनावात्रा
- नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली
- भूटान के प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबगे
- म्यांमार के वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलैंग
इन सभी नेताओं ने क्षेत्रीय सहयोग, आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, और आर्थिक साझेदारी जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
भारत की रणनीतिक चिंता और चीन की भूमिका
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद चीन के साथ बढ़ते रिश्तों को लेकर भारत की रणनीतिक चिंताएं भी इस बातचीत का एक अहम हिस्सा थीं। नई बांग्लादेशी सरकार ने चीनी निवेशकों और कर्जदाताओं के प्रति रुख नरम किया है, जिससे भारत को अपने प्रभाव को बनाए रखने की चुनौती मिल रही है।भारत ने यह स्पष्ट किया कि बांग्लादेश के साथ साझेदारी और विश्वास के आधार पर वह क्षेत्र में शांति और विकास चाहता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोहम्मद यूनुस की यह बैठक सिर्फ दो देशों के नेताओं की मुलाकात नहीं थी, बल्कि यह भविष्य के सहयोग, विश्वास और संबंधों की पुनर्बहाली का प्रतीक है। BIMSTEC जैसे क्षेत्रीय मंच इस दिशा में एक मजबूत भूमिका निभा रहे हैं। आने वाले समय में यह साझेदारी और मजबूत होगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है।