Chhangur Baba Story: छांगुर बाबा उर्फ़ जमालुद्दीन की कहानी साधारण व्यक्ति की नहीं है, बल्कि यह एक बड़े धर्मांतरण रैकेट और विदेशी फंडिंग व संपत्ति अधिग्रहण की जांच से जुड़ी है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे:
- छांगुर बाबा की शुरूआत
- कैसे बिकाऊ श्रमिक फंसाए गए
- ATS और ED की कार्रवाई
- अवैध संपत्तियों का राज
- हवेली का ढांचा और ध्वस्त होना
- कानूनी कार्यवाही और सामाजिक प्रभाव
1. छांगुर बाबा कौन है?
दरअसल बलरामपुर (UP) के रिहरा माफी गाँव का रहने वाला जमालुद्दीन, जो साधारण जीवन जीता था, ने खुद को ‘पीर बाबा’ के रूप में पेश कर लिया। पहले वह गहनों की बिक्री करता था, लेकिन धीरे-धीरे उसने लोगों को आस्था के नाम पर फंसाना शुरू किया।
2. Chhangur Baba का धर्मांतरण रैकेट कैसे संचालित हुआ?
Investigations में सामने आया कि:
- गरीब, विधवा और कमजोर वर्ग की महिलाओं को लक्षित किया गया
- उन्हें धर्मांतरित करवाया गया, promises जैसे शादी या आर्थिक सहायता देकर
- रेट लिस्ट तैयार की गई—ब्राह्मण/क्षत्रिय ₹15–16 लाख, OBC ₹10–12 लाख, अन्य ₹8–10 लाख।
यह कोई धार्मिक सेवा नहीं, बल्की एक व्यवसायिक नेटवर्क था।
3. विदेशी फंडिंग का नेटवर्क
ATS और ED की जांच में खुद सामने आया:
- 40+ बैंक खातों में ₹106 करोड़ की राशि
- ये पैसे मध्य पूर्व (दुबई, कतर, सऊदी) से आए थे
- कुछ ट्रांजैक्शन स्विस बैंक से भी जुड़े हो सकते हैं।
इससे स्पष्ट है यह सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रैकेट था।
अवैध हवेली का रहस्य
- बलरामपुर की हवेली में 40 कमरे, CCTV, प्राइवेट बिजली, मॉडर्न किचन और सीमित सड़क-कनेक्शन था
- हवेली अवैध थी—सरकारी जमीन पर बनी थी और नोटिस मिलने के बावजूद नहीं हटाई गई थी
- आखिरकार सरकार ने 3 दिन में bulldoze कर दी और ₹8.55 लाख वसूले गए।
ATS-ED की कार्रवाई
- 5 जुलाई को ATS ने छांगुर बाबा और नसीरीन को लखनऊ में गिरफ़्तार किया
- उनसे बड़ी राशि की moneymone laundering और विदेशी फंडिंग जांच हुई
- ATS और STF ने दुनियाभर के स्थलों (महाराष्ट्र, नेपाल सीमा) तक की जांच तेज की
कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक असर
- UP CM योगी आदित्यनाथ ने इसे “राष्ट्र विरोधी” कहा और सख्त कार्रवाई की बात की
- पीड़ित महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने रिश्वत लेकर जांच में देरी की
- कई महिलाएं कहते हैं—धर्म वापस लेने पर उन्हें मौत की धमकियाँ मिल रहीं हैं
छांगुर बाबा का ‘साइकोलॉजिकल जाल’
छांगुर बाबा केवल धार्मिक विश्वासों का लाभ नहीं उठा रहा था, बल्कि वह लोगों की मानसिक कमजोरी को भी अच्छे से समझता था। वह ज़्यादातर ऐसे पीड़ितों को निशाना बनाता था जो किसी बड़ी परेशानी से जूझ रहे होते थे—जैसे आर्थिक तंगी, वैवाहिक संकट या स्वास्थ्य समस्या। फिर उन्हें यह यकीन दिलाया जाता था कि सिर्फ धर्म बदलने से उनका जीवन सुधर जाएगा। यह एक मानसिक जाल था, जिसमें फँसने के बाद लोग खुद ही दूसरे लोगों को जोड़ने लगते थे, जिससे पूरा नेटवर्क तैयार हो गया।
सोशल मीडिया और प्रचार तंत्र
छांगुर बाबा की साजिश का एक अहम हिस्सा था उसका डिजिटल प्रचार तंत्र। उसने फेसबुक, यूट्यूब और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का खूब इस्तेमाल किया। वीडियो क्लिप्स, फोटो और “मिरेकल स्टोरीज़” के ज़रिए उसने अपनी छवि एक चमत्कारी बाबा की बना ली। सच्चाई ये है कि ये प्रचार अभियान सिर्फ विश्वास का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित कन्वर्ज़न मार्केटिंग स्ट्रैटेजी थी। सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर वह विदेशों से फंडिंग जुटा रहा था और भारत में अपना नेटवर्क फैला रहा था।
भविष्य में क्या ज़रूरी है?
छांगुर बाबा का मामला देश के लिए एक चेतावनी है। यह सिर्फ एक आदमी की साजिश नहीं थी, बल्कि एक पूरे सिस्टम की नाकामी को दर्शाता है—जहाँ गरीबी, अशिक्षा और डिजिटल प्रचार का दुरुपयोग कर लोगों को बहकाया जा सकता है। अब ज़रूरत है कि सरकार सिर्फ सख्ती ही न करे, बल्कि जनजागरूकता अभियान, साइबर निगरानी और धर्मांतरण पर स्पष्ट नीति बनाए ताकि फिर कोई छांगुर बाबा इस देश की आस्था को व्यापार में न बदल सके।
निष्कर्ष: सीख और जागरूकता
| मुद्दा | संदेश |
|---|---|
| धर्म का दुरुपयोग | आस्था का व्यापार खतरनाक साबित हो सकता है |
| बड़े धन का स्रोत | विदेशी फंडिंग और संपत्ति की निगरानी जरूरी है |
| कानून का शासन | ATS-ED जैसी एजेंसियों की सक्रियता ही बचाव है |
यह पूरे पूरे रैकेट से समाज को आगाह करने वाली घटना है।
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