Bihar Chunav 2025: बिहार की राजनीति में हर दिन नए समीकरण बन रहे हैं। इस बार सबसे बड़ी हलचल मचाई है सूरजभान सिंह ने, जिन्होंने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में शामिल हो गए है। सूरजभान का यह कदम न सिर्फ पशुपति कुमार पारस के लिए बड़ा झटका है, बल्कि मोकामा सीट पर चुनावी हवा को भी पूरी तरह से बदल सकता है।
सूरजभान सिंह ने छोड़ी RLJP – अंदर की कहानी
जानकारी के मुताबिक, सूरजभान सिंह लंबे समय से पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। उनका कहना है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो चुका है और निर्णय कुछ लोगों तक सीमित रह गए हैं। पारस के करीबी सूत्र बताते हैं कि यह इस्तीफा अप्रत्याशित था, लेकिन सूरजभान के तेवर पिछले कुछ महीनों से बदले हुए थे।
RJD में एंट्री – तेजस्वी यादव की मास्टर स्ट्रोक राजनीति
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेजस्वी यादव ने सूरजभान को अपने पाले में लाकर भूमिहार वोट बैंक पर सीधा फोकस किया है। तेजस्वी को यह पता है कि मध्य बिहार के करीब 12 विधानसभा सीटें भूमिहार बहुल हैं, और सूरजभान का प्रभाव इन इलाकों में मजबूत माना जाता है।
मोकामा सीट से वीणा देवी की उम्मीदवारी लगभग तय
सूत्रों के मुताबिक, सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को RJD से मोकामा विधानसभा सीट से टिकट दिया जा सकता है।
यह वही सीट है जहाँ से पहले अनंत सिंह राजनीति का बड़ा चेहरा रहे हैं। अगर वीणा देवी मैदान में उतरती हैं तो यह मुकाबला होगा — वीणा देवी बनाम अनंत सिंह, यानी “बहुबलियों की जंग 2.0”।
अनंत सिंह बनाम सूरजभान सिंह का मुकाबला – पुरानी रंजिशें फिर जिंदा
मोकामा सीट पर सूरजभान और अनंत सिंह का राजनीतिक टकराव कोई नया नहीं है। दोनों की रंजिशें 2000 के दशक से चली आ रही हैं। अब RJD अगर वीणा देवी को उतारती है, तो यह टक्कर तेजस्वी यादव की रणनीति बनाम नीतीश कैंप के प्रभाव की भी होगी।
RLJP को लगा बड़ा झटका – पारस का तीसरा मोर्चा कमजोर
पशुपति कुमार पारस ने हाल ही में तीसरा मोर्चा (Third Front) बनाने का ऐलान किया था, लेकिन सूरजभान सिंह के जाने से RLJP की पकड़ कमजोर पड़ गई है। RLJP अब अपने पुराने वोट बैंक को संभालने में जुटी है, जबकि RJD ने बड़ा राजनीतिक फायदा उठा लिया है।


RJD का भूमिहार कार्ड – 2025 की रणनीति का केंद्र
तेजस्वी यादव की रणनीति साफ है —RJD अब सिर्फ MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण पर निर्भर नहीं रहना चाहती।
सूरजभान सिंह के आने से उन्हें भूमिहार समाज में सीधी पैठ बनाने का मौका मिलेगा, जो अब तक NDA का मजबूत गढ़ माना जाता था।
Bihar Chunav 2025: राजनीतिक समीकरण कैसे बदलेंगे?
- मोकामा, बाढ़, आरा, बिक्रम, हिलसा, नवादा जैसी सीटों पर असर पड़ सकता है।
- भूमिहार वोट NDA से खिसक सकते हैं।
- तेजस्वी यादव को “सर्वसमाज” की छवि बनाने में मदद मिलेगी।
- पारस और चिराग पासवान की पार्टियों में अंदरूनी संघर्ष और बढ़ सकता है।
सूरजभान सिंह का आपराधिक रिकॉर्ड – विपक्ष का बड़ा हथियार
विपक्ष इस पूरे घटनाक्रम पर चुप नहीं है। बीजेपी और जेडीयू दोनों ही सूरजभान सिंह के पुराने आपराधिक मामलों को उछाल सकते हैं। साल 1992 में उन पर हत्या के मामले में सजा हुई थी, हालांकि बाद में उन्हें राहत मिल गई थी।
फिर भी, चुनावी माहौल में यह मुद्दा विपक्ष के लिए एक बड़ा हमला साबित हो सकता है।
तेजस्वी यादव का बयान – “जो हमारे साथ है, वो बिहार के विकास के साथ है”
RJD सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी ने इस पूरे घटनाक्रम पर कहा है “हम राजनीति को समाज की भलाई के लिए करते हैं। जो हमारे साथ जुड़ता है, वो बिहार के विकास में साझेदार बनता है।” उनका यह बयान साफ संकेत देता है कि RJD अब हर जातीय और सामाजिक वर्ग को अपने साथ जोड़ने की तैयारी में है।
बिहार चुनाव 2025: अब क्या हो सकता है आगे
अगर सूरजभान आधिकारिक रूप से RJD में शामिल हो जाते हैं और वीणा देवी को टिकट मिलता है, तो मोकामा ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में नई हलचल मच जाएगी। यह कदम RJD को भूमिहार वोट बैंक से जोड़ने का सबसे बड़ा प्रयास होगा।
सूरजभान सिंह का RJD में शामिल होना एक साधारण कदम नहीं, बल्कि 2025 के चुनाव से पहले बिहार की राजनीति का बड़ा धमाका है। तेजस्वी यादव ने यह दिखा दिया है कि वे अब जातीय राजनीति के पार जाकर हर वर्ग को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि अनंत सिंह इस नए समीकरण का जवाब कैसे देते हैं।
FAQs
1. सूरजभान सिंह ने RLJP क्यों छोड़ी?
उन्होंने कहा कि पार्टी में अब आंतरिक लोकतंत्र नहीं बचा है और कुछ लोग ही फैसले लेते हैं।
2. क्या सूरजभान सिंह अब RJD में शामिल हो चुके हैं?
सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने तेजस्वी यादव से मुलाकात कर ली है और जल्द ही औपचारिक ऐलान हो सकता है।
3. वीणा देवी को RJD से टिकट मिलेगा क्या?
हाँ, मोकामा सीट से उनकी उम्मीदवारी लगभग तय मानी जा रही है।
4. क्या यह कदम RJD को भूमिहार वोट दिला पाएगा?
काफी हद तक हाँ, क्योंकि सूरजभान सिंह का प्रभाव भूमिहार समुदाय में मजबूत है।
5. RLJP पर इसका क्या असर होगा?
RLJP का तीसरा मोर्चा कमजोर हो गया है और पारस के सामने नेतृत्व संकट खड़ा हो गया है।
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