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Bihar Assembly Election 2025: दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले RJD को तगड़ा झटका, पूर्व प्रत्याशी सुरेश प्रसाद यादव BJP में शामिल

Bihar Assembly Election 2025

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की गहमागहमी के बीच, दूसरे चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के पूर्व प्रत्याशी और वरिष्ठ नेता सुरेश प्रसाद यादव ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया। यह दल-बदल ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हुआ है, जब सभी राजनीतिक दल दूसरे चरण के मतदान क्षेत्रों में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

सुरेश प्रसाद यादव को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी ने दिलवाई। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा के कई अन्य नेता भी मौजूद रहे। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने स्वयं मीडिया को सुरेश प्रसाद यादव के भाजपा में शामिल होने की जानकारी दी और इसे पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि बताया।

क्यों छोड़ा सुरेश प्रसाद यादव ने RJD का साथ?

भाजपा में शामिल होने के बाद, पूर्व आरजेडी नेता सुरेश प्रसाद यादव ने अपने इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की वजहों का खुलासा किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका यह कदम किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि देश और राज्य में चल रहे विकास कार्यों से प्रभावित होकर लिया गया है।

सुरेश प्रसाद यादव ने अपने बयान में कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राज्य और देश के विकास के लिए किए जा रहे अभूतपूर्व कामों से बहुत प्रभावित हूँ। पिछले कुछ वर्षों में, मैंने देखा है कि कैसे पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने एक नई दिशा ली है, और सीएम नीतीश के मार्गदर्शन में बिहार लगातार विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है।”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी का सदस्य बनने पर गर्व महसूस हो रहा है। मैं भाजपा के राज्य और केंद्रीय नेतृत्व का धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने मुझे पार्टी परिवार में शामिल होने का मौका दिया। मैं पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करूंगा।”

Bihar Assembly Election 2025: दूसरे चरण के मतदान से पहले दल-बदल का महत्व

सुरेश प्रसाद यादव का यह दल-बदल ऐसे समय में हुआ है जब बिहार में चुनावी माहौल अपने चरम पर है। मंगलवार को होने वाले दूसरे चरण के मतदान में कई महत्वपूर्ण सीटों पर वोट डाले जाने हैं। किसी भी चरण के मतदान से ठीक पहले किसी प्रमुख नेता का पाला बदलना विपक्षी पार्टी के मनोबल को तोड़ने और सत्ताधारी गठबंधन के पक्ष में माहौल बनाने का काम करता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:

  1. मनोवैज्ञानिक बढ़त: मतदान से एक दिन पहले यह घटना बीजेपी और एनडीए गठबंधन को मनोवैज्ञानिक बढ़त देगी। यह मैसेज जनता के बीच जाएगा कि विपक्ष के अपने नेता भी अब विकास की राजनीति में विश्वास जता रहे हैं।
  2. क्षेत्रीय प्रभाव: सुरेश प्रसाद यादव एक पूर्व प्रत्याशी और वरिष्ठ नेता रहे हैं, जिसका अर्थ है कि उनका अपने क्षेत्र में एक मजबूत समर्थक आधार और सामाजिक समीकरणों पर पकड़ होगी। उनके जाने से आरजेडी को उस विशेष विधानसभा क्षेत्र या आसपास के क्षेत्रों में संगठनात्मक और चुनावी दोनों स्तर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। उनका कैडर अब बीजेपी के लिए काम कर सकता है।
  3. आरजेडी की चुनौतियां: यह घटना आरजेडी के लिए एक आंतरिक चुनौती भी खड़ी करती है। यह दिखाता है कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है और चुनाव के महत्वपूर्ण समय में भी नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, जिससे उनकी एकता पर सवाल उठते हैं।

बिहार में एनडीए की बढ़ती ताकत

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सुरेश प्रसाद यादव का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की डबल इंजन सरकार की नीतियों और उनके विकास मॉडल पर बिहार की जनता का अटूट विश्वास है। उन्होंने कहा, “सुरेश प्रसाद यादव जैसे अनुभवी और जनता से जुड़े नेता का भाजपा परिवार में आना यह साबित करता है कि हर वर्ग और हर क्षेत्र के लोग अब बिहार को और विकसित बनाने के लिए भाजपा के साथ जुड़ना चाहते हैं। हम उनके अनुभव का लाभ लेंगे और मिलकर एनडीए की जीत सुनिश्चित करेंगे।”

सम्राट चौधरी ने यह भी संकेत दिया कि आने वाले दिनों में और भी कई प्रभावशाली नेता विपक्षी खेमा छोड़कर एनडीए में शामिल हो सकते हैं।

निष्कर्ष

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हर दिन नए समीकरण देखने को मिल रहे हैं। आरजेडी के पूर्व प्रत्याशी सुरेश प्रसाद यादव का बीजेपी में शामिल होना, खासकर दूसरे चरण के मतदान की पूर्व संध्या पर, विपक्षी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। यह घटना न केवल राज्य की राजनीतिक गतिशीलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि चुनावी रण में अंतिम क्षणों तक सेंधमारी और समीकरणों को अपने पक्ष में करने की कोशिशें जारी रहेंगी। अब देखना यह होगा कि इस राजनीतिक झटके का दूसरे चरण के मतदान पर कितना असर पड़ता है।

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