Bihar 2nd Phase Voting Live: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे और अंतिम चरण में मंगलवार को मतदाताओं का उत्साह चरम पर है। निर्वाचन आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, दोपहर 1 बजे तक 47.62% बंपर मतदान दर्ज किया गया, जो पहले चरण के मुकाबले काफी अधिक है। इस चरण में मिथिलांचल, सीमांचल और मगध क्षेत्र की 122 सीटों पर 1302 उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य तय हो रहा है।
जहां एक तरफ शांतिपूर्ण ढंग से मतदान चल रहा है, वहीं सीमांचल के अररिया जिले में तनाव की खबरें भी सामने आईं, जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के समर्थकों के बीच जोरदार झड़प हो गई, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए।
Bihar 2nd Phase Voting Live: सीमांचल और मगध में जबरदस्त उत्साह
दूसरे चरण के मतदान ने यह साफ कर दिया है कि बिहार के मतदाता इस बार परिवर्तन या निरंतरता के लिए एकजुट होकर बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकल रहे हैं। दोपहर 1 बजे तक का 47.62% मतदान प्रतिशत बताता है कि दूसरे चरण में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग हो सकती है।
सीमांचल क्षेत्र, जिसमें अररिया, किशनगंज और पूर्णिया जैसे जिले शामिल हैं, मतदान में सबसे आगे रहा है। किशनगंज जिले में 1 बजे तक 51% से अधिक मतदान दर्ज किया गया है, जो मतदाताओं की जागरूकता और राजनीतिक सक्रियता को दर्शाता है। यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल होने के कारण यहाँ का उच्च मतदान प्रतिशत क्षेत्रीय समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
वहीं, मधुबनी जैसे कुछ जिलों में मतदान की रफ्तार थोड़ी धीमी रही, लेकिन समग्र रूप से दोपहर तक आधे के करीब मतदान पूरा हो जाना, दोनों प्रमुख गठबंधनों—एनडीए और महागठबंधन—के लिए एक चुनौती और अवसर दोनों है। यह बंपर वोटिंग अक्सर सत्ता विरोधी लहर या किसी विशेष लहर के पक्ष में मजबूत संकेत देती है।
अररिया में हिंसक झड़प: फारबिसगंज कॉलेज बना अखाड़ा
मतदान के उत्साह के बीच, अररिया जिले के फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र के एक बूथ पर तनाव और झड़प की खबरें आईं, जिससे शांतिपूर्ण मतदान में अस्थायी रूप से बाधा उत्पन्न हुई।
- घटनास्थल: फारबिसगंज कॉलेज स्थित बूथ संख्या 198 पर बीजेपी और कांग्रेस के समर्थक आपस में भिड़ गए।
- विवाद का कारण: बताया जा रहा है कि यह झड़प मतदान को प्रभावित करने या मतदाताओं को बूथ तक लाने-ले जाने को लेकर हुई कहासुनी के बाद शुरू हुई। यह विवाद देखते ही देखते एक बड़ी भिड़ंत में बदल गया, जिससे बूथ पर अफरा-तफरी मच गई।
- पुलिस कार्रवाई: स्थिति की गंभीरता को समझते हुए स्थानीय पुलिस और अर्द्धसैनिक बल (Paramilitary Forces) के जवान तुरंत मौके पर पहुंचे। बल प्रयोग कर दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को अलग किया गया और स्थिति को नियंत्रण में लिया गया। इस घटना में कुछ कार्यकर्ताओं को मामूली चोटें आई हैं।
- राजनीतिक आरोप: दोनों ही दलों के स्थानीय नेताओं ने एक-दूसरे पर मतदान में धांधली करने और अपने समर्थकों को डराने-धमकाने का आरोप लगाया है।
इस तरह की हिंसक झड़पें, खासकर सीमांचल के संवेदनशील क्षेत्रों में, चुनावी माहौल को गरमा देती हैं और निर्वाचन आयोग के लिए सुरक्षा चुनौतियों को बढ़ा देती हैं।
दांव पर दिग्गजों की साख: परिणाम पर सीधा असर
यह बंपर वोटिंग उन चार प्रमुख दिग्गजों की साख पर सीधा असर डालेगी, जिनका जिक्र पिछले दिनों हुआ था: पप्पू यादव, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और असदुद्दीन ओवैसी।
- जीतन राम मांझी: मगध क्षेत्र (कुटुम्बा, इमामगंज, टिकारी) में ‘हम’ के उम्मीदवारों के लिए यह उच्च मतदान निर्णायक होगा। मांझी के लिए अपनी पार्टी को आवंटित छह सीटों पर जीत सुनिश्चित करना एनडीए में उनका कद मजबूत करेगा।
- पप्पू यादव: कोसी और सीमांचल क्षेत्र में पप्पू यादव समर्थित निर्दलीय और जन अधिकार पार्टी (JAP) के उम्मीदवारों का प्रदर्शन यह तय करेगा कि वह महागठबंधन के वोट बैंक में कितनी सेंध लगा पाते हैं।
- असदुद्दीन ओवैसी: सीमांचल (किशनगंज, अररिया, पूर्णिया) में मतदान का उच्च प्रतिशत ओवैसी की पार्टी AIMIM के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकता है। यदि अल्पसंख्यक वोट विभाजित होते हैं, तो इसका सीधा असर कई सीटों के नतीजों पर पड़ सकता है।
चुनाव आयोग की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था
मतदान के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए चुनाव आयोग (ECI) ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।
- कड़ी निगरानी: अररिया जैसी घटनाओं को देखते हुए, चुनाव आयोग ने संवेदनशील मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करा रहा है।
- ईसीआई ऐप: हर दो घंटे में मतदान प्रतिशत की निगरानी के लिए पीठासीन अधिकारियों को ईसीआई नेट ऐप का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है।
- सुरक्षा बल: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की टुकड़ियों को संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया गया है।
निष्कर्ष: नतीजों की बेसब्री से प्रतीक्षा
बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण, जो 122 सीटों पर हो रहा है, निर्णायक साबित होने वाला है। बंपर मतदान का रुझान लोकतंत्र के प्रति मतदाताओं के गहरे विश्वास को दर्शाता है, लेकिन अररिया जैसी छिटपुट हिंसक घटनाएं शांतिपूर्ण चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल भी उठाती हैं। अब सभी की निगाहें मतदान के अंतिम आंकड़ों और 14 नवंबर को होने वाली मतगणना पर टिकी हैं, जब यह साफ होगा कि बिहार में किसकी सरकार बनेगी।
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