भारतीय छात्रों के लिए बुरी खबर है. मिली जानकारी के अनुसार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ग्रेजुएट छात्रों का वीजा खत्म करने का विचार कर रहे है. लेकिन इसके लिए ऋषि सुनक को भारी विरोध का सामना पड़ा. सुनक की पार्टी के ही कई नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अगर ग्रेजुएट रूट वीजा खत्म करते हैं तो इसका भारतीय छात्रों पर बहुत असर देखने को मिलेगा. क्यों कि इस वीजा योजना के तहत सबसे ज्यादा भारतीय छात्रों ने ही आवेदन दिया है।
ग्रेजुएट रूट वीजा क्या है ?
आपको बता दें कि जुलाई 2021 में यूके सरकार ने ग्रेजुएट रूट वीजा पेश किया था. ये वीजा छात्रों को ग्रेजुएशन, पोस्ट-ग्रेजुएशन या दूसरे एलिजिबल कोर्स को पूरा करने के बाद कम से कम दो साल तक यूके में रहने की अनुमति देता है. पीएचडी या अन्य डॉक्टरेट योग्यता वाले लोगों के लिए, जीआरवी तीन साल तक रहता है.
वीज़ा की नियम क्या है?
आवेदन के समय छात्र को यूनाइटेड किंगडम में हो और उसके पास शॉर्ट टर्म स्टडी वीजा या जनरल स्टूडेंट वीजा होना चाहिए. इसके अतिरिक्त, आवेदक के एजुकेशन-प्रोवाइडर को कोर्स पूरा होने के बारे में यूके होम ऑफिस को सूचित करना होगा.
ये वीज़ा भारतीय के लिए क्यों अहम है?
दरअसल ग्रेजुएट रूट वीजा स्कूली या इससे अधिक शिक्षा के बाद किसी व्यक्ति के यूके प्रवास को बढ़ा देता है. इससे उन्हें यूके में जॉब तलाशने के अवसर और अच्छी कमाई करने का मौका मिलता है. इसके अलावा, यूके में ग्रेजुएट रूट वीज़ा पर रहते हुए, व्यक्ति एक अच्छा स्पॉन्सर या एम्प्लॉयर ढूंढकर अन्य वीजा (जैसे वर्क वीजा) प्राप्त करने की भी कोशिश कर सकते हैं. ऐसे में जो छात्र भारत से यूके में बसना चाहते हैं, ये वीज़ा स्कीम उन्हें ऐसा करने की पहली सीढ़ी देता है. यह भारतीयों (विशेष रूप से पंजाब से) के बीच खासा लोकप्रिय है, क्योंकि यह कुछ क्राइटेरिया को पूरा करने पर परिवारों को ग्रेजुएट रूट वीज़ा-धारक के साथ जाने की अनुमति भी देता है।
वीजा बदलाव का क्या होगा असर?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि सुनक के इस वीजा पर बैन करने के प्रस्ताव से पोस्ट-ग्रेजुएशन संभावना और देश में अधिक समय तक रुकने के अवसर के बारे में अनिश्चितता पैदा करके यूके में पढ़ाई करने के इच्छुक इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के नंबर्स में काफी कमी आ जाएगी. ग्रेजुएट रूट वीज़ा को केवल “टॉपर्स” तक सीमित रखने से विशेष रूप से यूके में पढ़ाई करने के इच्छुक ‘औसत’ छात्र की संभावनाओं पर पानी फिर जाएगा।
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फिर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स यूके के बजाय, ऐसे देश जाना पसंद करेंगे जहां पढ़ाई के बाद अधिक स्थिरता मिले। हालाँकि, यह खबर ऐसे समय में आई है जब कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों ने भी इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पर कैप लगा दी है. इसके चलते ब्रिटेन, छात्रों के बीच पहले ऑप्शन के रूप में उभर रहा था लेकिन सुनक के इस कदम से अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है।
सबसे ज्यादा भारतीय छात्र ?
ब्रिटेन में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा समुदाय भारतीयों का है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाल के कुछ सालों में भारतीयों को दिए जाने वाले छात्र वीजा की संख्या में काफी वृद्धि देखी गई है. यूके होम ऑफिस के अनुसार, जून 2022 से जून 2023 के बीच भारतीयों को जारी किए जाने वाले स्टूडेंट वीजा में 54% की बढ़ोतरी हुई है. जून 2019 के बाद से भारतीय नागरिकों को दिए गए वीजा की संख्या सात गुना बढ़ गई है. एक तरह से भारतीय युवाओं की संख्या ज्यादा है. लेकिन अगर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अगर वीजा में बदलाव करते है तो सबसे ज्यादा भारतीय छात्रों का इसका नुकसान होगा. वीजा की वजह से कई छात्रों का पढ़ाई भी रूक सकती है, वीजा बदलाव को लेकर विदेशों में भी इसकी चर्चा जोरो पर है ।