Apple भारत में अपने संचालन का तेजी से विस्तार कर रहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, अगले तीन वर्षों में Apple अपने विक्रेताओं और आपूर्तिकर्ताओं के माध्यम से भारत में 500,000 से अधिक लोगों को रोजगार देने की योजना बना रहा है। वर्तमान में, Apple के विक्रेता और आपूर्तिकर्ता भारत में लगभग 150,000 लोगों को रोजगार देते हैं। Tata Electronics, जो Apple के लिए दो संयंत्र संचालित करता है, भारत में Apple के विक्रेताओं में सबसे बड़ा नौकरी सृजनकर्ता है।
इसके अतिरिक्त, Apple का लक्ष्य अगले 4-5 वर्षों में भारत में उत्पादन को पांच गुना से अधिक बढ़ाकर लगभग 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 3.32 लाख करोड़ रुपये) करना है।
Apple में नौकरियों का वितरण और प्रभाव
Apple के भारत में विस्तार से 200,000 प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन होने की संभावना है, जिनमें से 70% महिलाएं होंगी। सरकारी अनुमानों के अनुसार, प्रत्येक प्रत्यक्ष नौकरी से कम से कम तीन अप्रत्यक्ष नौकरियां उत्पन्न होती हैं, जिससे कुल मिलाकर 500,000 से 600,000 नई रोजगार संभावनाएं बन सकती हैं।
वैश्विक रणनीति में बदलाव: चीन से भारत की ओर
Apple ने अपने आपूर्ति श्रृंखला का एक बड़ा हिस्सा चीन से भारत स्थानांतरित करने की योजना बनाई है। इस कदम से न केवल भारत में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि Apple को अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने में भी मदद मिलेगी।
अमेरिका में लागत और चुनौतियाँ
हालांकि Apple अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने पर विचार कर रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे लागत में वृद्धि होगी। उदाहरण के लिए, अमेरिका में श्रम लागत और अन्य खर्च अधिक होने के कारण उत्पादन महंगा हो सकता है।
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iPhone उत्पादन और भारत का योगदान
वर्तमान में भारत में iPhone 12, iPhone 13, iPhone 14 और आंशिक रूप से iPhone 15 का उत्पादन कर रहा है।Foxconn, Pegatron और Wistron जैसी वैश्विक कंपनियां भारत में Apple के मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर के रूप में कार्य कर रही हैं। भारत सरकार की उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना ने इन कंपनियों को यहां निवेश के लिए आकर्षित किया है।इससे देश में उच्च गुणवत्ता वाले इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है और “मेक इन इंडिया” अभियान को मजबूती मिल रही है।


दीर्घकालिक प्रभाव और नीति संकेत
Apple जैसी वैश्विक टेक कंपनियों का भारत में विस्तार केवल रोजगार तक सीमित नहीं है, यह तकनीकी ज्ञान, आपूर्ति श्रृंखला कौशल और औद्योगिक आधारभूत ढांचे को भी मजबूत करता है। सरकार के लिए यह एक संकेत है कि अगर नीति समर्थन, स्थिरता और लॉजिस्टिक सुधार लगातार जारी रहे, तो भारत दुनिया का अगला बड़ा तकनीकी विनिर्माण केंद्र बन सकता है।Apple का यह कदम अन्य वैश्विक कंपनियों के लिए भारत में निवेश का रास्ता खोल सकता है।
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डिजिटल स्किल्स और लोकल इकोनॉमी पर असर
Apple के विस्तार से न केवल शहरी क्षेत्रों में बल्कि छोटे शहरों और कस्बों में भी तकनीकी नौकरियों की संभावनाएं बढ़ेंगी। इससे स्थानीय युवाओं को डिजिटल स्किल्स सिखने और हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग में करियर बनाने का अवसर मिलेगा। Apple द्वारा प्रशिक्षित मैनपावर भविष्य में अन्य तकनीकी उद्योगों को भी फायदा पहुंचा सकता है, जिससे सम्पूर्ण लोकल इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी।
सप्लाई चेन स्थिरता और भौगोलिक विविधता
COVID-19 महामारी और चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर के बाद कंपनियों को यह समझ में आया कि सप्लाई चेन का एक ही देश पर निर्भर रहना जोखिमभरा हो सकता है। Apple द्वारा भारत में सप्लाई चेन का विस्तार करना इस रणनीतिक सोच का हिस्सा है।भविष्य में अगर किसी एक क्षेत्र में संकट उत्पन्न हो, तो कंपनी अपने उत्पादन को दूसरे देश में शिफ्ट करके निरंतरता बनाए रख सकती है।
निष्कर्ष
Apple का भारत में विस्तार न केवल देश के लिए आर्थिक अवसर प्रस्तुत करता है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। हालांकि अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने से लागत में वृद्धि हो सकती है, लेकिन भारत में निवेश से Apple को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है।