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कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों का समावेश तेजी से बढ़ रहा है। विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग किसानों को फसल की सुरक्षा, कीट नियंत्रण, और उत्पादन बढ़ाने में सहायता प्रदान कर रहा है। राजस्थान में इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल की गई है, जहाँ AI तकनीक के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाया जा रहा है। कीट नियंत्रण, रोग पहचान और मौसम की अनिश्चितता जैसी समस्याएं किसानों के लिए बड़ा संकट बन जाती हैं। ऐसे में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) एक ऐसी तकनीक बनकर उभरी है जो खेती को स्मार्ट और सटीक बना सकती है। हाल ही में राजस्थान में इस तकनीक का सफल प्रयोग किया गया है।

AI तकनीक क्या है?

AI यानी Artificial Intelligence एक ऐसी प्रणाली है जो डेटा का विश्लेषण करके निर्णय ले सकती है। कृषि में इसका उपयोग फसल के स्वास्थ्य की निगरानी, कीटों की पहचान, और उत्पादन की भविष्यवाणी के लिए किया जा रहा है। यह तकनीक मोबाइल एप्स, ड्रोन, और सेंसर के माध्यम से काम करती है।

ड्रोन और सेंसर की भूमिका

राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा, ने एक परियोजना शुरू की है जिसमें ड्रोन और सटीक सेंसरों का उपयोग खेतों की निगरानी के लिए किया जाता है। ड्रोन ऊंचाई से उड़ते हुए खेतों की तस्वीरें खींचते हैं और सेंसर जमीन की नमी, तापमान और फसल की स्थिति का डेटा भेजते हैं। यह डेटा AI सिस्टम में प्रोसेस होकर रिपोर्ट के रूप में किसान को मिलता है।

कीट नियंत्रण में क्रांति

अक्सर किसान यह नहीं समझ पाते कि फसल में कितने कीट हैं और कब दवा का छिड़काव करना है। नतीजा या तो दवा बेवक्त होती है या जरूरत से ज्यादा। AI इस समस्या को खत्म करता है। यह फसल की तस्वीरें स्कैन करके बताएगा कि किस हिस्से में कीट हैं और कौन सी दवा कितनी मात्रा में जरूरी है।

मूंगफली फसल पर परीक्षण

AI का यह सिस्टम फिलहाल मूंगफली की फसल पर आज़माया गया है क्योंकि इसमें कीटों का प्रभाव अधिक होता है। शुरुआती नतीजे बेहद सफल रहे हैं। किसान अब समय रहते कीट नियंत्रण कर पा रहे हैं और पैदावार में 15-20% तक बढ़ोतरी देखी गई है। भविष्य में यह प्रणाली गेहूं, चना और सरसों जैसी दूसरी फसलों पर भी लागू की जाएगी।

उत्पादन और मुनाफा दोनों में बढ़ोतरी

AI से सिर्फ उत्पादन ही नहीं बढ़ रहा, बल्कि किसानों का खर्च भी घट रहा है। कम दवा लगती है, समय की बचत होती है और सही निर्णय लेने में मदद मिलती है। इससे किसान का मुनाफा भी बढ़ता है। साथ ही यह तकनीक पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग रुक जाता है।

चुनौतियाँ और समाधान

हालाँकि, अभी कई किसान तकनीक से अनजान हैं। इसके लिए जरूरी है कि सरकार और कृषि संस्थान मिलकर जागरूकता अभियान चलाएं और AI तकनीक को गांव-गांव पहुँचाएं। मोबाइल नेटवर्क और डिजिटल साक्षरता को भी बढ़ावा देना होगा।

निष्कर्ष

AI तकनीक भारतीय खेती के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकती है। इससे खेती अधिक वैज्ञानिक, सटीक और लाभकारी बनेगी। राजस्थान में हुई शुरुआत बाकी राज्यों के लिए एक प्रेरणा है। सही मार्गदर्शन और सहयोग से भारत का हर किसान तकनीकी रूप से सशक्त हो सकता है।

By Desk

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