नई दिल्ली: इस वक्त देश में चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज है लोकसभा चुनाव की तारीखें तय हो चुकी हैं और इसी बीच सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सबको चौका दिया, कोर्ट ने VVPAT पर्चियों से संबंधित मामले को सुना, जिसमें वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग की गई थी, वीवीपैट एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देता है कि उसका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं, इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई किया और चुनाव आयोग और केंद्र से जवाब मांगा है.,
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ईवीएम को लेकर चारों तरफ विपक्ष के नेताओं ने सवाल खड़ा करना शुरू किया है, तो वही सोमवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करते हुए कोर्ट में जो याचिका दिया गया है उस याचिका में कहा गया है कि ‘चुनाव न केवल निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए क्योंकि सूचना के अधिकार को भारत के संविधान के आर्टिकल 19(1) (ए) और 21 के संदर्भ में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा माना गया है,, मतदाता को आर्टिकल 19 और 21 के तहत सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत चुनाव आयोग (2013) में इस माननीय न्यायालय के निर्देशों के उद्देश्य और उद्देश्य के अनुसार अपने द्वारा डाले गए वोट और VVPAT के पेपर वोट द्वारा गिने गए वोट को सत्यापित करने का अधिकार है,
आपको बताते चले कि सुप्रीम कोर्ट के वकील और कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया है, याचिकाकर्ता ने VVPT पेपर पर्चियों के माध्यम से केवल 5 रैंडम रूप से चयनित EVM के सत्यापन के मौजूदा चलन के विपरीत चुनावों में वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग की है, सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में चुनाव आयोग के दिशानिर्देश को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि वीवीपैट सत्यापन क्रमिक रूप से किया जाएगा, यानी एक के बाद एक, और कहा गया कि इससे अनुचित देरी होती है,
याचिका में चुनाव आयोग को सभी वीवीपैट पेपर पर्चियों की गिनती करके वीवीपैट के जरिए मतदाता द्वारा ‘डाले गए वोटों के रूप में दर्ज’ किए गए वोटों के साथ अनिवार्य रूप से क्रॉस-चेक करने के लिए ईसीआई को निर्देश देने की मांग की गई है, याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि मतदाता को वीवीपैट से निकली वीवीपैट पर्ची को मतपेटी में डालने की अनुमति दी जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मतदाता का मत ‘रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है, लोकसभा चुनाव आते ही सभी पार्टियों में अपनी जीत को लेकर अलग-अलग दावें किया जा रहा है लेकिन देखने वाली बात ये होगी कि आखिर देश की जनता इस बार देश का बागडोर किसको सौंपती है ।