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Bihar VidhanSabha Chunav 2nd Phase Voting 2025: दूसरे चरण में दांव पर 4 दिग्गजों की साख…पप्पू यादव, जीतन राम मांझी और अन्य की अग्निपरीक्षा

Bihar VidhanSabha Chunav 2nd Phase Voting 2025

Bihar VidhanSabha Chunav 2nd Phase Voting 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा और अंतिम चरण 11 नवंबर को समाप्त हो रहा है। इस चरण में मिथिलांचल, सीमांचल, चंपारण, और शाहाबाद-मगध जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की 122 सीटों पर मतदान हो रहा है। इन सीटों पर 1302 उम्मीदवारों का भविष्य ईवीएम में कैद हो रहा है। लेकिन इस चरण की असली परीक्षा उन चार राजनीतिक दिग्गजों की है, जो भले ही खुद सीधे चुनावी मैदान में न हों, लेकिन उनके समर्थित उम्मीदवारों और उनके क्षेत्रीय प्रभाव का इम्तिहान होना बाकी है।

दूसरे चरण का यह मतदान कई मायनों में राज्य की सत्ता की दिशा तय करने वाला है, और इस चरण में पप्पू यादव, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और असदुद्दीन ओवैसी जैसे कद्दावर नेताओं की साख दांव पर लगी है।

जीतन राम मांझी: एनडीए में ताकत साबित करने की चुनौती

पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए के घटक दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी की राजनीतिक हैसियत का इम्तिहान दूसरे चरण में है। मांझी की पार्टी को एनडीए में सीट बंटवारे के तहत छह सीटें मिली हैं, और इन सभी सीटों पर 11 नवंबर को मतदान हो रहा है।

जीतन राम मांझी खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन उनकी प्रतिष्ठा उनके परिवार और पार्टी के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी। उनकी पुत्रवधू दीपा कुमारी इमामगंज सीट से उम्मीदवार हैं। इसके अलावा, बाराचट्टी, टिकारी, अतरी, सिकंदरा और कुटुम्बा सीटों पर भी ‘हम’ के उम्मीदवार मैदान में हैं।

मांझी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इन छह सीटों में से अधिकांश पर उनका सीधा मुकाबला महागठबंधन के उम्मीदवारों, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से है। मांझी को बिहार में दलित समुदाय (महादलित) के एक बड़े हिस्से का नेता माना जाता है। यदि ‘हम’ इन छह सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करती है, तो एनडीए गठबंधन में मांझी की बारगेनिंग पावर और राजनीतिक कद दोनों मजबूत होंगे। उनका प्रयास होगा कि वे यह साबित करें कि उनका जनाधार केवल इमामगंज तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे मगध क्षेत्र में फैला हुआ है।

Bihar VidhanSabha Chunav 2nd Phase Voting 2025: पप्पू यादव: अपनी सियासी पहचान बचाने की लड़ाई

पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी (JAP) के प्रमुख पप्पू यादव के लिए यह चुनाव व्यक्तिगत साख की लड़ाई है। पप्पू यादव इस बार महागठबंधन का हिस्सा नहीं बन पाए, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। उन्होंने अपनी पार्टी और समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

पप्पू यादव की साख सीमांचल और कोसी क्षेत्र में उनके क्षेत्रीय प्रभाव को भुनाने पर टिकी है।

पप्पू यादव के लिए यह चरण इसलिए भी अहम है क्योंकि वह लगातार राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर खुद को एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। यदि उनके समर्थित उम्मीदवार अच्छा प्रदर्शन करते हैं या महागठबंधन के वोट काटते हैं, तो भविष्य की राजनीति में उनकी भूमिका निर्णायक हो सकती है। पप्पू यादव की पार्टी के उम्मीदवारों के प्रदर्शन से यह तय होगा कि उनका खुद का जनाधार कितना मजबूत है, खासकर जब उन्हें बड़े गठबंधन का समर्थन हासिल नहीं है।

Bihar VidhanSabha Chunav 2025: उपेंद्र कुशवाहा, रालोमो के भविष्य का फैसला

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) भी एनडीए गठबंधन का हिस्सा है। कुशवाहा की साख भी दूसरे चरण के मतदान में कसौटी पर है।

उपेंद्र कुशवाहा बिहार में एक मजबूत ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) के नेता माने जाते हैं, खासकर कोइरी/कुशवाहा समुदाय के बीच उनका प्रभाव है। एनडीए गठबंधन में उनकी उपयोगिता इसी बात पर निर्भर करेगी कि उनकी पार्टी को मिली सीटों पर वह कितना वोट खींच पाते हैं और कितने उम्मीदवारों को जीत दिला पाते हैं। यदि रालोमो की परफॉर्मेंस निराशाजनक रहती है, तो आने वाले समय में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे में उनकी हिस्सेदारी पर असर पड़ सकता है। कुशवाहा के लिए यह चरण न केवल अपनी पार्टी के भविष्य को सुरक्षित करने, बल्कि गठबंधन की राजनीति में अपनी अहमियत बरकरार रखने के लिए भी निर्णायक है।

असदुद्दीन ओवैसी: सीमांचल में पकड़ मजबूत करने का इम्तिहान

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी इस चरण में परदे के पीछे से सबसे बड़ी परीक्षा दे रहे हैं। ओवैसी की पार्टी मुख्य रूप से सीमांचल क्षेत्र में सक्रिय है, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है।

ओवैसी का उद्देश्य सीमांचल में अपनी पकड़ मजबूत करना और अल्पसंख्यक वोटों को महागठबंधन से तोड़कर अपने पाले में लाना है। सीमांचल की कई सीटों पर उनके उम्मीदवार मैदान में हैं।

AIMIM के उम्मीदवार भले ही सीधे जीत हासिल न कर पाएं, लेकिन उनका प्रदर्शन महागठबंधन (मुख्यतः RJD-कांग्रेस) के लिए ‘वोट कटवा’ की भूमिका निभा सकता है। यदि ओवैसी की पार्टी पर्याप्त संख्या में अल्पसंख्यक वोटों को विभाजित करने में सफल रहती है, तो इसका सीधा फायदा एनडीए को मिल सकता है। इसलिए ओवैसी का प्रदर्शन न केवल उनकी पार्टी के भविष्य के लिए, बल्कि बिहार की चुनावी राजनीति के समीकरणों को बदलने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष: सत्ता की कुंजी दूसरे चरण में

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा चरण कई दिग्गज नेताओं के लिए महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि राजनीतिक वजूद और भविष्य की रणनीति तय करने वाली कड़ी अग्निपरीक्षा है। जीतन राम मांझी की पार्टी के प्रदर्शन से एनडीए का आंतरिक संतुलन तय होगा, जबकि पप्पू यादव और असदुद्दीन ओवैसी का प्रदर्शन विपक्षी महागठबंधन के वोट बैंक पर उनके प्रभाव को दर्शाएगा।

इन चारों नेताओं की साख का फैसला 14 नवंबर को मतगणना के साथ ही हो जाएगा। लेकिन 11 नवंबर का मतदान यह निर्धारित करेगा कि बिहार की राजनीति में इन दिग्गजों का कद भविष्य में कितना ऊंचा रहेगा और कौन सा समीकरण बिहार की सत्ता की नई तस्वीर लिखेगा।

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