Bihar Liquor Smuggling: बिहार में अप्रैल 2016 में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे सामाजिक सुधार अभियान का हिस्सा बताया था। लेकिन इसके बाद से ही नेपाल सीमा से शराब तस्करी का नेटवर्क तेजी से फैलता चला गया।
Bihar Liquor Smuggling: नेपाल से शराब की तस्करी
मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) से आई ताजा खबर ने पुलिस प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है। जिले के कई इलाकों में छापेमारी कर पुलिस ने नेपाल निर्मित शराब की बड़ी खेप पकड़ी है। इस दौरान 10 तस्करों को गिरफ्तार किया गया है, जो लंबे समय से इस धंधे में सक्रिय थे।
पुलिस की कार्रवाई: गिरफ्तार तस्करों की पहचान
जिला पुलिस अधीक्षक के अनुसार, सभी तस्कर मोतिहारी और आसपास के सीमावर्ती इलाकों के रहने वाले हैं। पुलिस ने इनके पास से चार पिकअप वैन, दर्जनों पेटियां नेपाली शराब और मोबाइल फोन जब्त किए हैं।
गिरफ्तार तस्करों से पूछताछ जारी है ताकि इस नेटवर्क के और लोगों तक पहुँचा जा सके।
बरामद हुई शराब की मात्रा: नेपाल से तस्करी का खुलासा
पुलिस ने कुल 1500 लीटर नेपाली शराब जब्त की है, जिसकी कीमत लाखों में बताई जा रही है। ये शराब बिना टैक्स के नेपाल से लाई जा रही थी और बिहार के विभिन्न जिलों में सप्लाई की जाती थी।
अधिकारियों के अनुसार, तस्कर शराब की पेटियों को फलों और सब्जियों के नीचे छिपाकर ले जाते थे।
बिहार-नेपाल सीमा पर शराब तस्करी के मुख्य रूट
नेपाल की खुली सीमा बिहार के जिलों मोतिहारी, सीतामढ़ी, मधुबनी और अररिया से सटी है। इन रास्तों का उपयोग तस्कर रात के समय करते हैं।
पुलिस का कहना है कि कई बार तस्कर महिलाओं और बच्चों को भी इस्तेमाल करते हैं ताकि जांच से बच सकें।
तस्करों की चालाकी: कैसे पुलिस को धोखा देने की कोशिश हुई
तस्करों ने शराब को दूध और दही की कैन में छिपाया था ताकि किसी को शक न हो।
पुलिस ने बताया कि खुफिया इनपुट और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर इनकी लोकेशन ट्रैक की गई, जिसके बाद टीम ने मौके पर छापा मारा।
Bihar Liquor Smuggling: गुप्त सूचना से लेकर रेड तक की कहानी
पुलिस को पहले ही सूचना मिली थी कि कुछ लोग नेपाल से शराब लाने वाले हैं। इसके बाद SDPO और थानेदारों की संयुक्त टीम बनाई गई।
टीम ने रात में ही ट्रैप ऑपरेशन चलाया और गाड़ियों को घेर लिया।
Bihar Liquor Smuggling: बिहार में शराबबंदी कानून
- लागू होने की तारीख: 1 अप्रैल 2016
- उद्देश्य: समाज में सुधार और नशामुक्त बिहार का निर्माण
- सजा: 5 से 10 साल की जेल या भारी जुर्माना
- लागू करने वाली एजेंसियां: Excise Department, Bihar Police, SSB
शराबबंदी के बावजूद बढ़ता कारोबार
शराबबंदी के बाद तस्करी और अवैध बिक्री में तेजी आई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल बिहार में हजारों लोग शराब से जुड़ी गिरफ्तारी में शामिल होते हैं।
इससे सरकार को राजस्व हानि और कानूनी जटिलताएँ दोनों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका और चुनौतियाँ
सीमाई इलाकों में निगरानी रखना आसान नहीं है। नेपाल के खुले बॉर्डर के कारण तस्करों को रोकना चुनौतीपूर्ण है।
हालांकि, प्रशासन लगातार ड्रोन निगरानी, पेट्रोलिंग और गुप्त सूचनाओं पर काम कर रहा है।
सामाजिक प्रभाव: परिवारों पर शराब का असर
शराब की वजह से न सिर्फ कानून तोड़ा जा रहा है, बल्कि परिवार टूट रहे हैं। कई सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि शराबबंदी को और सख्ती से लागू किया जाए और नशा मुक्ति अभियान को बढ़ावा दिया जाए।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई की सराहना की है।एक निवासी ने कहा – “शराबबंदी तभी सफल होगी जब तस्करों पर कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी।”
लोगों ने पुलिस की मेहनत की तारीफ की और उम्मीद जताई कि इस तरह के छापे आगे भी जारी रहेंगे।
सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की रणनीति
सरकार ने कहा है कि इस कार्रवाई से यह साफ है कि राज्य में शराबबंदी सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि जमीन पर भी लागू है। भविष्य में तस्करों की पहचान के लिए AI बेस्ड सर्विलांस सिस्टम लगाने की योजना पर काम चल रहा है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. मोतिहारी में कब हुई कार्रवाई?
यह कार्रवाई 7 अक्टूबर 2025 की रात को की गई थी।
2. कितनी मात्रा में शराब जब्त की गई?
लगभग 1500 लीटर नेपाली शराब बरामद हुई है।
3. क्या सभी तस्कर स्थानीय हैं?
हां, अधिकतर तस्कर मोतिहारी और आसपास के गांवों के निवासी हैं।
4. क्या शराबबंदी कानून में बदलाव की संभावना है?
अभी तक सरकार ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है।
5. क्या नेपाल सरकार से इस पर बात हुई है?
दोनों देशों की सीमा सुरक्षा बलों के बीच सहयोग जारी है।
6. इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
पुलिस गश्त बढ़ाई गई है और सीमाई चौकियों पर जांच सख्त की जा रही है।
कार्रवाई का असर और आने वाले कदम
मोतिहारी में की गई यह कार्रवाई बिहार पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता है।यह न केवल तस्करों को चेतावनी देती है बल्कि शराबबंदी कानून को सशक्त बनाती है। आने वाले समय में यदि ऐसी कार्रवाई नियमित रूप से होती रही, तो बिहार को नशामुक्त बनाना कोई असंभव कार्य नहीं रहेगा।
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