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GST Revamp: भारत में नए टैक्स स्ट्रक्चर की बड़ी पहल, 12% और 28% स्लैब होंगे खत्म

GST Revamp

भारत सरकार ने GST Revamp की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में Group of Ministers (GoM) ने केंद्र सरकार के दो स्लैब वाले प्रस्ताव को समर्थन दे दिया है। इसके साथ ही 12% और 28% की दरों को खत्म करने की मंजूरी भी दी गई है। यह निर्णय देश की टैक्स प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।

GST Revamp क्या है और क्यों ज़रूरी है?

GST (Goods and Services Tax) 2017 में लागू किया गया था। शुरुआत में इसमें 5%, 12%, 18% और 28% जैसी कई दरें थीं। समय के साथ यह देखा गया कि इतनी सारी स्लैब दरों से भ्रम और जटिलता बढ़ रही है।
GST Revamp के अंतर्गत दरों की संख्या घटाकर टैक्स को आसान और समझने योग्य बनाया जाएगा, जिससे व्यापारियों और आम जनता दोनों को फायदा होगा।

GoM का फैसला: दो स्लैब वाला सिस्टम

GoM ने जो प्रस्ताव पास किया है, उसके अनुसार GST Revamp के बाद केवल दो मुख्य स्लैब रहेंगे:

  • 8% से 10% के बीच का लोअर स्लैब
  • 18% से 20% का हायर स्लैब

इससे टैक्स कलेक्शन भी स्थिर होगा और करदाताओं पर अनावश्यक बोझ कम होगा।

12% और 28% स्लैब का अंत

अब तक 12% और 28% स्लैब सबसे ज्यादा विवादित रहे हैं।

  • 12% स्लैब – इसमें कई आवश्यक उपभोक्ता वस्तुएं आती थीं, लेकिन इसे हटाकर उन्हें या तो 8%-10% या सीधे 18% स्लैब में ले जाया जाएगा।
  • 28% स्लैब – यह लग्जरी सामान और सिन प्रोडक्ट्स (जैसे कार, तंबाकू, शराब) पर लागू होता था। नए Revamp के बाद, इन पर Cess का प्रावधान रखा जाएगा ताकि टैक्स का बोझ केवल चुनिंदा प्रोडक्ट्स तक सीमित रहे।

आम उपभोक्ताओं को क्या मिलेगा फायदा?

  • रोज़मर्रा की चीज़ों पर टैक्स घटने की संभावना।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और लग्जरी आइटम्स पर टैक्स स्ट्रक्चर में पारदर्शिता।
  • व्यापारी वर्ग को टैक्स कंप्लायंस आसान होगा।

इससे उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी होगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

सरकार के लिए फायदे

GST Revamp से सरकार को भी कई लाभ होंगे:

  • टैक्स चोरी में कमी
  • कलेक्शन का बेहतर संतुलन
  • एक पारदर्शी सिस्टम से विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा

GST Revamp का असर किन क्षेत्रों पर होगा?

1. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर

निर्माण लागत पर सीधा असर पड़ेगा। कम टैक्स दर से MSMEs को लाभ होगा।

2. सर्विस सेक्टर

18% स्लैब में सर्विसेज को रखा जाएगा, जिससे सेवाओं का चार्ज स्थिर रहेगा।

3. ई-कॉमर्स और रिटेल

ऑनलाइन शॉपिंग प्रोडक्ट्स पर दरें स्पष्ट होंगी, जिससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा।

भविष्य में क्या बदलाव संभव हैं?

विशेषज्ञों का मानना है कि GST Revamp की यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से लागू होगी। शुरुआत में दो स्लैब लागू होंगे, फिर समय-समय पर समीक्षा के बाद छोटे बदलाव किए जाएंगे।

अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

कई देशों में केवल दो या तीन स्लैब ही लागू हैं। भारत में भी अब उसी मॉडल को अपनाया जा रहा है, ताकि टैक्स स्ट्रक्चर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो सके।

श्रेणीपुराना GST Slabनया GST Slab (Revamp Plan)विवरण
आवश्यक वस्तुएँ (Essential Goods)5%5% (कोई बदलाव नहीं)जैसे – खाद्य सामग्री, दवाइयाँ आदि
सामान्य उपभोक्ता वस्तुएँ (General Goods)12%8%जैसे – घरेलू सामान, पैकेज्ड फूड, दैनिक उपयोग की वस्तुएँ
मानक दर (Standard Goods)18%18% (कोई बदलाव नहीं)जैसे – इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, रेस्तरां सेवाएँ
विलासिता की वस्तुएँ (Luxury Goods)28%18%जैसे – कार, प्रीमियम आइटम्स, लग्ज़री प्रोडक्ट्स

इस तुलना से साफ़ है कि 12% और 28% स्लैब पूरी तरह समाप्त किए जा रहे हैं।
उपभोक्ताओं को रोज़मर्रा के सामान पर कम टैक्स देना होगा।सरकार का लक्ष्य है कि टैक्स स्ट्रक्चर साधारण और पारदर्शी बने।

GST Revamp भारत की टैक्स प्रणाली को सरल, पारदर्शी और निवेशक-हितैषी बनाने का एक ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल व्यापारियों और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी बल्कि सरकार के राजस्व संग्रह में भी सुधार होगा।

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