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Indian Railways: रेलवे में ट्रेनों के लिए एयरलाइन जैसी लगेज पॉलिसी लागू, जानिए नए नियम

Indian Railways

Indian Railways: भारत में हर दिन लाखों लोग ट्रेन से सफर करते हैं। अब तक रेलवे में सामान लेकर चलने के लिए बहुत ज़्यादा पाबंदियाँ नहीं थीं। यात्री अक्सर बड़े-बड़े बैग, सूटकेस और कभी-कभी ज़रूरत से ज़्यादा लगेज भी ट्रेन में चढ़ा लेते थे। लेकिन अब यह व्यवस्था बदलने वाली है। भारतीय रेलवे ने फैसला किया है कि यात्रियों के लिए airline-style baggage charges लागू किए जाएंगे। यानी जैसे हवाई जहाज़ों में अतिरिक्त सामान पर शुल्क लिया जाता है, उसी तरह अब ट्रेनों में भी नए नियम लागू होंगे।

क्यों लागू किए जा रहे हैं airline-style baggage charges?

भारतीय रेलवे के मुताबिक, ट्रेन में सफर करने वाले यात्री अक्सर नियम से कहीं ज़्यादा सामान लेकर आते हैं। इससे न सिर्फ़ दूसरे यात्रियों को दिक़्क़त होती है बल्कि सुरक्षा और सफाई पर भी असर पड़ता है।

  • कई यात्री बड़े-बड़े ट्रंक और बक्से सीटों के नीचे ठूंस देते हैं।
  • डिब्बों में अनावश्यक भीड़ और गंदगी फैलती है।
  • गार्ड और पोर्टर के लिए सामान की निगरानी मुश्किल हो जाती है।

इन सभी कारणों से रेलवे ने सख्ती दिखाने का फैसला किया है और अब एयरलाइन जैसी लगेज पॉलिसी लाई जा रही है।

Indian Railways: नए नियमों के तहत क्या बदलेगा?

सूत्रों के अनुसार, airline-style baggage charges के तहत अब यात्रियों के लिए सामान की सीमा तय होगी।

मुफ़्त सामान सीमा (Free Allowance):

  • स्लीपर क्लास और जनरल में सफर करने वालों को सीमित किलो तक ही सामान मुफ्त ले जाने की अनुमति होगी।
  • एसी कोच और फर्स्ट क्लास यात्रियों को थोड़ा ज़्यादा लिमिट मिलेगी।

अतिरिक्त सामान पर शुल्क:

  • तय सीमा से ज़्यादा सामान ले जाने पर शुल्क देना होगा।
  • शुल्क की दरें वज़न और दूरी के हिसाब से होंगी।

चेक-इन सिस्टम:

  • बड़े और भारी सामान को पहले से बुक कराना होगा।
  • ऐसा न करने पर ट्रेन में चढ़ने पर पेनल्टी लगेगी।

कितना सामान ले जा सकेंगे यात्री?

रेलवे बोर्ड ने प्रस्तावित नियमों के तहत अलग-अलग क्लास के लिए सीमा तय की है:

  • स्लीपर क्लास: 40 किलो तक मुफ्त, 70 किलो तक शुल्क देकर ले जा सकते हैं।
  • एसी कोच: 50 किलो तक मुफ्त, 80 किलो तक शुल्क देकर ले जा सकते हैं।
  • फर्स्ट क्लास एसी: 70 किलो तक मुफ्त, 150 किलो तक शुल्क देकर ले जा सकते हैं।

इसके अलावा, 100 किलो से ज़्यादा सामान ले जाने के लिए विशेष परमिट की ज़रूरत होगी।

अतिरिक्त शुल्क कैसे तय होगा?

जैसे एयरलाइन्स में प्रति किलो के हिसाब से पैसे देने पड़ते हैं, वैसे ही रेलवे में भी नियम लागू होंगे।

  • अतिरिक्त सामान के लिए प्रति किलो अलग-अलग दरें तय की जाएंगी।
  • लंबी दूरी और प्रीमियम ट्रेनों में शुल्क ज़्यादा होगा।
  • समय पर बुकिंग न करने पर पेनल्टी अलग से देनी होगी।

यात्रियों पर असर

यह नया नियम यात्रियों के लिए कई तरह से असर डालेगा।

सकारात्मक प्रभाव

  • ट्रेन के डिब्बों में सफाई और अनुशासन बढ़ेगा।
  • छोटे यात्रियों को भी पर्याप्त जगह मिलेगी।
  • रेलवे को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।

नकारात्मक प्रभाव

  • गरीब और मध्यमवर्गीय यात्री जो ज़्यादा सामान लेकर चलते हैं, उन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
  • अचानक सफर करने वाले यात्रियों के लिए असुविधा होगी।
  • स्टेशन पर लगेज बुकिंग काउंटर पर भीड़ और अव्यवस्था बढ़ सकती है।

रेलवे का पक्ष

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह कदम यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है। कई बार डिब्बों में इतना सामान भर जाता है कि आपातकालीन स्थिति में निकासी मुश्किल हो जाती है। इसके अलावा, रेलवे का मानना है कि हवाई जहाज़ की तरह नियम लागू करने से यात्रियों में अनुशासन आएगा और सफर अधिक आरामदायक बनेगा।

यात्रियों की प्रतिक्रिया

नियमों की घोषणा के बाद यात्रियों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं।

  • कुछ लोग कहते हैं कि यह सही कदम है क्योंकि ट्रेनें अब सामान गाड़ी नहीं हैं।
  • जबकि बहुत से लोग इसे गरीब यात्रियों पर बोझ मानते हैं। उनका कहना है कि जो लोग गांव से शहर रोज़मर्रा का सामान लेकर जाते हैं, उन्हें अब मुश्किल होगी।

अंतरराष्ट्रीय उदाहरण

दुनियाभर की कई रेल सेवाओं में पहले से ही airline-style baggage charges लागू हैं।

  • यूरोप की हाई-स्पीड ट्रेनों में बैग्स पर सीमा तय है।
  • जापान की शिंकानसेन ट्रेनों में बड़े सूटकेस का पहले से आरक्षण करना पड़ता है।
  • चीन और अमेरिका की कई ट्रेन सेवाओं में भी बैगेज पर सख्त नियंत्रण है।

भारत का यह कदम वैश्विक मानकों के अनुरूप है।

भविष्य की योजना

भारतीय रेलवे आने वाले समय में लगेज स्कैनिंग और स्मार्ट टैगिंग सिस्टम भी शुरू कर सकती है।

  • यात्रियों को ऑनलाइन ऐप के ज़रिए सामान की बुकिंग सुविधा मिलेगी।
  • QR कोड से लगेज ट्रैकिंग आसान होगी।
  • स्टेशन पर लगेज हैंडलिंग सेवाओं को और आधुनिक बनाया जाएगा।

निष्कर्ष

भारतीय रेलवे का यह फैसला ऐतिहासिक है। अब ट्रेनों में सफर एयरलाइन्स जैसा अनुशासित और सुरक्षित होगा। हालांकि airline-style baggage charges आम यात्रियों, खासकर ग्रामीण और गरीब वर्ग के लिए चुनौती भी साबित हो सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यात्री इसे कितनी सहजता से स्वीकार करते हैं।

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