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Delhi-NCR में पुरानी गाड़ियों पर नहीं लगेगा बैन, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Delhi-NCR

Delhi-NCR में पुरानी गाड़ियों के मालिकों के लिए एक राहत भरी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अब दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में पुरानी गाड़ियों पर कोई बैन नहीं लगाया जाएगा। इस फैसले के बाद लाखों वाहन मालिकों को राहत मिलेगी, जो लंबे समय से इस मुद्दे को लेकर चिंतित थे।

पिछले कुछ वर्षों में Delhi-NCR में प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के संचालन पर रोक लगाने की बात हो रही थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और विभिन्न सरकारी एजेंसियों ने भी समय-समय पर इस दिशा में कदम उठाए। लेकिन कई वाहन मालिकों का कहना था कि उनके वाहन अभी भी तकनीकी रूप से सही हैं और इन पर बैन लगाना उचित नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए साफ कहा कि जब तक किसी गाड़ी से वास्तविक प्रदूषण स्तर तय मानकों से अधिक नहीं है, तब तक केवल उम्र के आधार पर उसे सड़क से हटाना सही नहीं होगा। अदालत ने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण जरूर जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि लोगों की संपत्ति और जरूरत को नज़रअंदाज़ किया जाए।

Delhi-NCR वाहन मालिकों के लिए राहत
इस फैसले से Delhi-NCR में रहने वाले लाखों वाहन मालिकों को बड़ी राहत मिली है। खासकर वे लोग जो अपनी गाड़ियों का नियमित मेंटेनेंस करते हैं और प्रदूषण प्रमाणपत्र (PUC) समय पर अपडेट रखते हैं, अब निश्चिंत होकर वाहन चला सकेंगे। अदालत ने स्पष्ट किया है कि प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन करने वाली गाड़ियों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।

सरकार की जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए वाहनों की नियमित जांच हो और जिन वाहनों से प्रदूषण ज्यादा है, उन्हें ही सड़क से हटाया जाए। अदालत ने कहा कि बैन लगाने के बजाय सख्त निरीक्षण प्रणाली अपनाई जाए, ताकि केवल वही वाहन रोके जाएं जो वास्तव में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

Delhi-NCR में प्रदूषण की चुनौती
Delhi-NCR में प्रदूषण का स्तर लंबे समय से चिंता का विषय रहा है। सर्दियों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें केवल पुराने वाहनों का योगदान नहीं है, बल्कि निर्माण कार्य, औद्योगिक गतिविधियां, पराली जलाना और मौसम की स्थितियां भी बड़ी भूमिका निभाती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात पर जोर दिया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें केवल वाहनों पर ध्यान देने के बजाय अन्य कारणों को भी दूर किया जाए।

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर असर
इस फैसले का असर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी पड़ सकता है। अब पुराने वाहन बेचने की प्रक्रिया में तेजी आ सकती है और सेकेंड-हैंड गाड़ियों का बाजार भी फिर से सक्रिय हो सकता है। साथ ही, ऑटोमोबाइल कंपनियों पर भी दबाव रहेगा कि वे कम प्रदूषण फैलाने वाली तकनीक विकसित करें और ग्राहकों को बेहतर विकल्प दें।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला Delhi-NCR के वाहन मालिकों के लिए बड़ी राहत है। अब केवल गाड़ी की उम्र के आधार पर बैन नहीं लगेगा, बल्कि असली मापदंड प्रदूषण स्तर होगा। हालांकि, यह राहत उन लोगों के लिए है जो नियमों का पालन करते हैं और समय पर अपने वाहन का मेंटेनेंस कराते हैं। सरकार और जनता, दोनों को मिलकर प्रदूषण कम करने के लिए प्रयास करना होगा, तभी दिल्ली की हवा साफ हो सकेगी।

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से दिल्ली-एनसीआर के हजारों वाहन मालिकों को राहत मिलेगी, जो पुराने वाहनों को स्क्रैप कराने या बेचने की चिंता में थे। यह निर्णय साफ करता है कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ लोगों की रोज़मर्रा की ज़रूरतों और आर्थिक स्थितियों को भी ध्यान में रखना ज़रूरी है। सरकार अब वैकल्पिक उपायों और प्रदूषण नियंत्रण के आधुनिक साधनों पर ज़्यादा ध्यान देगी, ताकि वायु गुणवत्ता बनी रहे और लोगों की आजीविका पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।

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