Table of Contents
आयकर भरते समय यह तय करना मुश्किल हो सकता है कि नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) और पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) में से कौन-सा विकल्प चुना जाए। सरकार ने नई कर प्रणाली को अधिक आकर्षक बनाने के लिए कई बदलाव किए हैं, लेकिन क्या यह वास्तव में करदाताओं के लिए फायदेमंद है? आइए जानते हैं कि दोनों व्यवस्थाओं में कटौती (Deductions) के क्या नियम हैं और आपके लिए कौन-सा विकल्प बेहतर रहेगा।
नई कर व्यवस्था में कटौती (Deductions under New Tax Regime)
नई कर व्यवस्था को सरल बनाने के लिए अधिकांश कर छूट और कटौतियों को हटा दिया गया है। हालांकि, कुछ लाभ अभी भी उपलब्ध हैं:
- स्टैंडर्ड डिडक्शन: ₹50,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन अब नई कर व्यवस्था में भी लागू है।
- NPS योगदान: धारा 80CCD(2) के तहत नियोक्ता द्वारा किए गए NPS योगदान पर कटौती जारी है।
- EPF और ग्रेच्युटी: कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और ग्रेच्युटी पर कर लाभ जारी रहेगा।
पुरानी कर व्यवस्था में कटौती (Deductions under Old Tax Regime)
यदि आप पुरानी कर व्यवस्था चुनते हैं, तो आप कई प्रकार की कटौतियों और छूटों का लाभ उठा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- धारा 80C: ₹1.5 लाख तक की कटौती (LIC, PPF, EPF, ट्यूशन फीस, होम लोन प्रिंसिपल, ELSS आदि)।
- धारा 80D: मेडिकल इंश्योरेंस पर ₹25,000 से ₹50,000 तक की कटौती।
- होम लोन ब्याज पर छूट: धारा 24(b) के तहत ₹2 लाख तक की छूट।
- हाउस रेंट अलाउंस (HRA): किराए पर रहने वालों के लिए कर छूट।
कौन-सी कर व्यवस्था आपके लिए बेहतर है?
- यदि आपकी आय कम है और आप ज्यादा निवेश नहीं करते, तो नई कर व्यवस्था आपके लिए सरल और लाभदायक हो सकती है।
- यदि आप निवेश योजनाओं (PPF, NPS, LIC) का लाभ उठाते हैं और अधिक टैक्स बचाना चाहते हैं, तो पुरानी कर व्यवस्था बेहतर हो सकती है।
सरकार ने नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट बना दिया है, लेकिन करदाताओं के पास अभी भी पुरानी कर व्यवस्था चुनने का विकल्प मौजूद है। सही चुनाव के लिए आपको अपने निवेश, खर्च और कर बचत योजनाओं का आकलन करना होगा।











