Alt प्रॉपर्टी

प्रॉपर्टी रजिस्सेट्रेशन कराने की प्रक्रिया को लेकर बड़ा बदलाव आने वाला है। सरकार अब एक नया कानून लाने जा रही है जिससे जमीन-जायदाद की रजिस्ट्री डिजिटल रूप से की जा सकेगी। इसके लिए 1908 में बने रजिस्ट्रेशन एक्ट में बदलाव की तैयारी चल रही है। यानी करीब 117 साल पुराने कानून को अब नए जमाने की तकनीक से जोड़ा जाएगा। इससे न सिर्फ आम लोगों को सहूलियत मिलेगी, बल्कि प्रॉपर्टी लेन-देन में पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

क्या है मौजूदा सिस्टम?

वर्तमान में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बेहद जटिल और समय लेने वाली होती है। इसमें व्यक्ति को संबंधित सब-रजिस्ट्रार ऑफिस जाना पड़ता है, लंबी लाइनें लगती हैं, और कागज़ी प्रक्रिया में काफी समय लगता है। इसके अलावा, दलालों और बिचौलियों की भूमिका के कारण कई बार धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की शिकायतें भी सामने आती हैं।

नई व्यवस्था में क्या बदलेगा?

सरकार जो नया कानून लाने जा रही है, उसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी जाएगी। लोग घर बैठे ऑनलाइन पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड कर सकेंगे और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कर सकेंगे। इसमें ई-स्टाम्पिंग, डिजिटल साइनिंग, और रियल टाइम वेरिफिकेशन जैसी आधुनिक तकनीकें शामिल होंगी।

इस बदलाव का उद्देश्य है कि कागज़ी प्रक्रिया को कम किया जाए, रजिस्ट्री में लगने वाला समय घटाया जाए और आम नागरिकों को पारदर्शी सेवा दी जाए।

क्यों जरूरी है यह बदलाव?

भारत में रियल एस्टेट और प्रॉपर्टी लेन-देन एक बड़ा सेक्टर है, जहां हर साल लाखों लोग संपत्ति की खरीद-फरोख्त करते हैं। लेकिन मौजूदा व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार की आशंका रहती है। इसके अलावा, कई बार फर्जी दस्तावेज, डुप्लिकेट रजिस्ट्री, या बिना अनुमति के रजिस्ट्री जैसी समस्याएं सामने आती हैं।

डिजिटल रजिस्ट्रेशन से इन सभी चुनौतियों को दूर किया जा सकेगा। सरकार का लक्ष्य है कि इस बदलाव से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को भी बढ़ावा मिले।

सरकार ने क्या कहा?

सरकारी सूत्रों के अनुसार, कानून मंत्रालय ने 1908 के पुराने एक्ट में संशोधन का मसौदा तैयार कर लिया है। इसे जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा। मंत्रालय का मानना है कि जिस तरह बाकी सेवाएं डिजिटल हो चुकी हैं, उसी तरह भूमि और संपत्ति से जुड़ी सेवाएं भी डिजिटल होनी चाहिए।

किन राज्यों में हो सकता है पायलट प्रोजेक्ट?

इस नए कानून को लागू करने से पहले सरकार कुछ राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे शुरू कर सकती है। संभव है कि पहले इसे दिल्ली, कर्नाटक, या महाराष्ट्र जैसे डिजिटल फ्रेंडली राज्यों में लागू किया जाए, जहां पहले से ही कुछ हद तक ऑनलाइन सुविधा मौजूद है।

नागरिकों को क्या होगा फायदा?

  1. समय की बचत: घंटों लाइन में लगने की जरूरत नहीं
  2. भ्रष्टाचार में कमी: बिचौलियों की भूमिका खत्म
  3. सुरक्षा: डॉक्यूमेंट्स का डिजिटल स्टोरेज और वेरिफिकेशन
  4. पारदर्शिता: हर स्टेप ट्रैक करने की सुविधा
  5. ई-स्टांपिंग: नकली स्टांप पेपर से छुटकारा

वकील और रियल एस्टेट एजेंट्स की राय

कानून में बदलाव को लेकर लीगल प्रोफेशनल्स और रियल एस्टेट एजेंट्स की राय मिश्रित है। कुछ लोग इसे समय की जरूरत मान रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि डिजिटल प्रक्रिया ग्रामीण इलाकों में लागू करने से पहले डिजिटल साक्षरता और इंटरनेट पहुंच पर ध्यान देना जरूरी होगा।

निष्कर्ष

सरकार का यह कदम निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक और तकनीकी सुधार की दिशा में है। 117 साल पुराने कानून में बदलाव कर उसे डिजिटल युग के अनुरूप बनाना न केवल नागरिकों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि भारत को ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में एक कदम आगे भी ले जाएगा। अब देखना यह है कि यह कानून कब तक पारित होता है और इसकी प्रक्रिया कैसे लागू की जाती है।
यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह न केवल सिस्टम को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में विश्वास और तेजी भी लाएगा।

By Desk

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